कविता : सरकारी रईसजादे बनाम बुंदेलखंड
बुंदेलों की धरती पर
चलो भुखमरी का
जश्न मनाएं
चलो मखमल के
गद्दे पर
अय्यासी की
चादर बिछाएं
भूखे किसानों
बिच
चलो दारू की
बोतल छलकाएं
एक नहीं दो नहीं
चलो चार चार
व्हाइट हाउस बनाएं
तंगहाली के माहौल में
चलो भंगड़ा गाए
सरकारी रईसजादों
की महफ़िल में
चलो गरीबी का
शोक मनाएं
बुंदेलों की धरती पर
चलो भुखमरी का
जश्न मनाएं
चलो जश्न मनाएं ………
— केएम् भाई