लघुकथा

गुज़र जाएंगे

वो कहावत है ना कि मुसीबत कभी अकेले नहीं आती,अपने साथ कई दुश्वारियां लाती है आज रमा ठीक से समझ पा रही थी ! इधर पति की तबियत बिगड़ी उधर कार ने भी अपने रंग दिखा दिए डॉक्टर के पास जाने के लिए ऑटो रिक्शा की हड़ताल ने दुविधा बढ़ा दी किसी तरह पड़ौस के लड़के से मदद मांग अस्पताल पहुंची तो पता चला डॉ साहेब ऑपरेशन कर रहे हैं !

पति की तबियत बिगड़ती जा रही थी,कल रात ही उसके खाने की सुविधा के लिए गले में ट्यूब डाली गयी थी ! उस वक़्त एक घंटे के इंतज़ार के बाद उसे जूस पिला कर देखा गया कि कोई तकलीफ तो नहीं ? तब सब ठीक था,पर रात में अचानक दर्द उठा जो बढ़ता गया !
तीन घंटे बाद डॉ ने चेकअप किया और ,”सब ठीक है अभी कुछ वक़्त लगेगा ट्यूब को एडजस्ट होने में ” कह दिया !
फिर किसी तरह एक मरीज़ के परिजन से लिफ्ट लेकर घर पहुंची तो दूधवाला घर में ताला देख जा चुका था, सोचा फ्रीज़ में शायद कल का थोड़ा दूध रखा हो तो चाय बना कर पिए तो थकन और टेंशन काम हो,पर यह क्या ? फ्रिज को भी आज ही खराब होना था ?
ग्रीन टी पीने की सोची तो रसोई में गैस ख़त्म ! उफ़!!! मकान मालकिन सहृदय महिला थीं वो दो कप चाय और कुछ बिस्कुट लेकर पास आकर सर पर हाथ फेरती बोली,” घबरा गयी क्या बेटी ? हमेशा ऐसा ही होता आया है,पर हिम्मत रख ये दिन भी गुज़र जाएंगे, हम हैं ना साथ?” डूबते को इन दो शब्दों ने तिनके का सहारा दे दिया था !

पूर्णिमा शर्मा

नाम--पूर्णिमा शर्मा पिता का नाम--श्री राजीव लोचन शर्मा माता का नाम-- श्रीमती राजकुमारी शर्मा शिक्षा--एम ए (हिंदी ),एम एड जन्म--3 अक्टूबर 1952 पता- बी-150,जिगर कॉलोनी,मुरादाबाद (यू पी ) मेल आई डी-- Jun 12 कविता और कहानी लिखने का शौक बचपन से रहा ! कोलेज मैगजीन में प्रकाशित होने के अलावा एक साझा लघुकथा संग्रह अभी इसी वर्ष प्रकाशित हुआ है ,"मुट्ठी भर अक्षर " नाम से !