दमदमा कोठी
“दमदमा कोठी में एक औरत की लाश मिली है बीवीजी “आते ही महरी ने ताज़ा खबर ऐसे सुनाई मानो सबसे पहले बता कर कोई बड़ा काम किया हो !उसकी बात उनते ही मुझे करंट का सा झटका लगा,साथ ही आश्चर्य और डर भी लगा !
यह कोठी हमारे घर का लेंडमार्क भी थी और अजूबा भी ! लगभग पांच हज़ार वर्गमीटर में फेली कोठी अब ध्वस्तप्राय है ! पर स्वतंत्रता संग्राम की कई कहानियां इससे जुडी हुई हैं !शहर के मशहूर अग्रवाल परिवार की धरोहर यह कोठी शाम के धुधुन्दलके में बहुत रहस्यमयी लगती है,मैं शाम को टहलते वक़्त इसके सामने से गुजरते हुए हमेशा यही सोचती कि इसे गिरा कर कोई पार्क,अस्पताल या घर क्यूँ नहीं बनवा देते इसके मालिक ? क्या यह रात में चोर-उचक्कों का निवास तो नहीं बनती ? हमारे मोहल्ले में अक्सर छोटी-मोटी चोरियों के अतिरिक्त कई हत्याए भी हो चुकी हैं !इसने जब भी इस बारे में कहा तो यह मेरी बात हंसी में उड़ा देते !पर आज अपनी आशंका को सच होते देख मैं भीतर तक सहम गयी थी !
कोठी में चरों दिशाओं में चार बड़े द्वार हैं,जिनमे पूर्वी द्वार कालोनी के मंदिर की तरफ खुलता है,दक्षिणी-द्वार,दुकानों की तरफ और क्रमश पश्चिमी व् उत्तरी द्वार कॉलोनी की तरफ ! इसी ओर नीचे के टूटे-फूटे कमरों में कुछ रिक्शा वालों,सब्जी वालों और प्रेस वालों ने अपना कब्ज़ा कर लिया है और रात में वहां बहुत रौनक रहती है ! इतने सरे लोगों के होते हुए भला किसकी हिम्मत हुई खून करने की ?खून के वक़्त अगर महिला ने जरा भी शोर मचाया होता तो क्या यह लोग बचाने की चेष्टा ना करते ?दोपहर में महिला का खून हुआ और शाम तक कोठी को पुलिस ने अपने कब्जे में लेकर लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया !
कोठी के पत्रकारों,फोटोग्राफर और जनसाधारण की भीड़ जमा थी और सैंकड़ों जुबाने अपनी-अपनी अटकलें लगा रही थीं ,अपनी समझ और मानसिकतानुसार !अगले दिन सभी अखबारों की सुर्खी यही खबर थी ! अखबार में मृतमहिला का चेहरा देख कर कॉलोनी वालों ने पहचान लिया और चौकीदार ने उक्त महिला की शिनाख्त “श्रीमती कमला शर्मा ” के रूप में की ! पढ़कर याद आया मुझे भी कि कमला शर्मा पिछले 2 हफ्ते से अखबार में “गुमशुदा ” के कॉलम में तस्वीर के साथ छप रही थीं,कल मिली भी तो उनकी लाश !
मुझे धीरे-धीरे सबकुछ याद आने लगा !
कॉलोनी में कमला शर्मा अपने पति सुरेश शर्मा और पुत्र अमित शर्मा के साथ रहती थीं ! पुत्री की शादी हो चुकी थी और अमित की शादी को लेकर चिंतित रहती थीं ! मैं जब भी किटी-पार्टी में उनसे मिलती वो पहचान की अच्छी लड़की के बारे में बताने को कहती थीं, अमित सुन्दर शालीन नौजवान था और शहर के डिग्री कॉलेज में अस्थायी रूप से पढ़ा रहा था और अभी उसने “नेट ” की परीक्षा भी पास कर ली थी तो उसकी नौकरी पक्की होने की पूरी संभावना थी ! कमला जी जल्दी उसकी शादी करके अपने उत्तरदायित्व से मुक्त होना चाहती थीं,हर माँ की तरह !इधर कमला जी अमित के लिए लड़कियां देखने में व्यस्त थीं उधर अमित शादी करने से इंकार कर रहा था !अमित एक बार भी किसी लड़की को देखने नहीं गया और कमला इसे अमित का शर्मीलापन समझ रही थीं !फिर करीब 2 महीने पहले सुना कि अमित घर से लापता है, कलमजी पर वज्रपात हो गया ! चौबीस घंटे तक पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज नहीं की,फिर जब कॉलोनी वालों ने दबाव दिया तो दुसरे दिन “गुमशुदगी'”की रिपोर्ट दर्ज की हांलाकि पुलिस का बराबर यही कहना रहा कि कोई लड़की-वडकी का चक्कर होगा ! कमला जी ने अमित के सभी मित्रों से पूछताझ की,रिश्तेदारों से भी पता किया पर कहीं कोई सुराग नहीं मिला !पुलिस ने दो टूक जवाब दे दिया था ,”जैसे ही कोई खबर मिलेगी,हम आपको सूचित करेंगे,आप रोज-रोज यहाँ आकर अपना और हमारा समय बर्बाद ना करें “
अब कमला जी ने मंदिर के चक्कर और मनौतियां मानना शुरू कर दिया ! कोठी के पूर्वी द्वार पर जो मंदिर है वहां के औघड़ बाबा ने उन्हें आश्वासन दिया कि “अमित जल्दी ही घर वापिस आएगा,पर इसके लिए आपको थोड़ी पूजा-अर्चना करनी पड़ेगी “मरता क्या ना करता ? आ ही गयीं कमलजी उन औघड़ बाबा के चक्कर में,जो मंदिर के पिछवाड़े अक्सर गांजा-चरस के सुट्टे लगाते देखे गए थे ! पड़ौसियों ने बहुत मना किया पर होनी को कोई आजतक टाल सका है क्या ?माँ के गले से एक कौर नीचे उतरता था और रात की नींद,दिन का चैन गायब था सो औघड़ बाबा का दिलासा डूबते को तिनके का सहारा जैसा था !पुलिस ने घर में काम करने वाली बाई को सबसे पहले शक के घेरे में लिया पर बस इतना ही पता चला कि मालकिन आजकल मंदिर के चक्कर,सुबह-शाम बेनागा लगा रही हैं ! यह जानकार मंदिर को घेरा पर तब तक बाबा फरार हो चुके थे,जब वहां के पुजारी पर दबिश डाली तो उसने बस इतना ही बताया कि कॉलोनी के माने हुए व्यवसायी श्री दीवान साब और एक दुखियारी औरत नित्य यहाँ आते थे और औघड़बाबा उन दोनों के साथ 2-3 घंटे को रोज कहीं जाते थे ! इससे ज्यादा उसे कुछ भी मालुम नहीं था,अब पुलिस मिसेज दीवान से पूछताछ करने में जुट गयी ! मिसेज दीवान जैसे तैयार थीं इनसबके लिए ! उनका जवाब तैयार था कि मिस्टर दीवान 2 हफ्ते से विदेश गए हुए हैं,एक्सपोर्ट के काम से !
दो कनेस्टबिल को सादे कपड़ों में मिसेज दीवान की निगरानी करने को लगाया गया, अब पुलिस को यकीन हो गया था कि हो ना हो सुराग उनसे ही मिलेगा !पुलिस को ज्यादा इंतज़ार नहीं करना पड़ा,रात को ही पता चला कि दीवान साब का पुराना नौकर एक बड़ा टिफिन लेकर चक्कर के मिलक के घने इलाके की संकरी गली के अंतिम छोर पर बने एक खंडहर बने मकान में घुसा और आधे घंटे बाद खाली टिफिन लेकर वापिस चला गया ! तब तक सादे वेषधारी कनेस्टबिल ने पुलिस की अतिरिक्त फ़ौज़ बुलवा कर मकान को चारों तरफ से घेर धावा बोल दिया ! थोड़ी देर दोनों ओर से गोलीबारी हुई,आंसू गैस छोड़ी गयी और दोनों ओर के चार आदमी मारे गए,लेकिन अंत में पुलिस ने बाबा और मिस्टर दीवान को गिरफ्तार कर ही लिया ! दोनों को ठाणे में लाकर थर्ड डिग्री टॉर्चर देने के बाद दोनों ने अपना जुर्म कबूल ही लिया !
बाबा, कामाख्या मंदिर से आये थे पर पूरी तरह से तंत्र-सिद्धि नहीं पा सके थे ! इसके लिए उन्हें एक बलि करनी थी,पर यह काम जोखिम का था और उन्हें एक व्यक्ति की और आवश्यकता थी ! इन्ही दिनों मिस्टर दीवान को अपने व्यापार में जबरदस्त घटा हुआ था,और वो जल्द से जल्द इस घाटे से उबरना चाहते थे और उन्ही दिनों कमला जी बेटे की जानकारी पाने के लिए चक्कर काट रही थीं, उनसे बेहतर शिकार कोई नहीं था जो खुद-ब-खुद उनके चंगुल में आ फंसी थीं !कमला-हत्याकांड की सारी गुत्थी सुलझ गयी थी और बाबा व् मिस्टर दीवान को धारा 302 के तहत आजीवन कारावास की सजा भी मिल गयी थी ! अब बस केवल एक गिरह खुलनी बाकी थी कि आखिर अमित का क्या हुआ ? वो मिला या नहीं ?
जिस दिन कमलजी की लाश का पंचनामा करके उसे उनके पति को सुपुर्द किया और उनके दाह-संस्कार की तैयारी की जा रही थी ,उनके घर पर लगभग पूरी कॉलोनी के लोग एकत्रित थे ठीक उसी समय एक ऑटो-रिक्शा आकर रुका और उसमे से अमित अपनी नयी-नवेली दुल्हन को लेकर उतरा तो शर्मा जी जो अब तक आँसू रोके हुए थे,उस से लिपट कर फफक-फफक कर रो पड़े ! अमित पहले तो स्तब्ध,पर माँ की कपडे में लिपटी लाश और द्वार पर एकत्रित भीड़ देख,असलियत जान बुरी तरह पिता से चिपक कर रोने लगा ! पर अब पछताए क्या होए जब….अमित बात करने की स्थिति में नहीं था !
उसकी पत्नी ने बताया कि अमित की माँ उसे स्वीकार नहीं कर रही थीं और अमित केवल उसी से विवाह करना चाहता था ! दोनों ने यही प्लान बनाया कि बाहर जाकर शादी कर लेते हैं,बाद में तो सब माफ़ कर ही देंगे सो दोनों गोवा जाकर शादी के बंधन में बंध गए,वहीँ एक स्कूल में जॉब भी दोनों को मिल गयी थी !
टिप्पणी-
एसी घटनाये अक्सर अखबार में छपती रहती हैं और हम पढ़ कर भुला देते हैं पर यह हत्याकांड मेरे सामने 2 प्रश्न छोड़ गया और शायद इसीलिए मैं आप सबके सामने इसे लेकर आयी हूँ —
1– क्या हमें अपने बच्चों पर इतना दवाब डालना चाहिए कि मन की इच्छा पूरी करने को वो हमें छोड़ने को विवश हो जाए ?
2- क्या औलाद को इतना गैरजिम्मेदार हो जाना चाहिए कि अपने माता-पिता की ऑर पलट कर भी ना देखें …ना कोई पत्र,ना तार और ना कोई टेलीफोंन कि अपना हाल बता दें और उनका हाल मालुम करें , इन बढती हुई दूरियों का कारण क्या है,और समाधान क्या ?