दुर्मिल सवैया =========
दुर्मिल सवैया ===आठ सगण ११२ x8 के संयोग से बने छ्न्द को दुर्मिल सवैया के नाम से जाना जाता है यह वार्णिक छ्न्द है प्रत्येक पंक्ति मे २४ वर्ण व आठ मात्राएँ यानी दीर्घ होते है
मापनी =११२,११२, ११२, ११२, ११२ ,११२, ११२, ११२
सबला बन के धरती महकी गरिमा महिमा नित गाय रही
सजना रस की रसना बन के चहुओर मही मन भाय रही
लिखते मन राज विभावरि मे यश गान निशा रस पाय रही
वसुधा हरसी लखि लाल सुभाष गणेश महेश बुलाय रही
बिजली चमकी नभ बीच गली ,अधराधर काँप उठी सजनी
नभ से कजरी बदरी बरसी, जल छूटिचली धरती रजनी
निज नाम विधान बताय रही धरतीधर प्यास मही भरनी
खुशहाल धरा मनमीत भयी, रसना रसिका मन गीत बनी
— राजकिशोर मिश्र ‘राज’