कविता

कोई अहसास जैसे लगते हो…

कोई अहसास जैसे लगते हो
मुझको विश्वास जैसे लगते हो।
तेरे चेहरे में क्या कशिश है ये
दिल को तुम खास जैसे लगते हो॥

सादगी का ये नूर क्या कहिये
प्यारी बातें हूज़ूर क्या कहिये।
क्यूं न दिल जां लुटाये इनपे कोई
चाहतों का सूरुर क्या कहिये॥

तुम कहीं कोई फरिश्ते तो नही
उसकी नेमत के गुलिस्ते तोे नही।
ये खुदी बोलती है खुद ब खुद
तुम कहीं नेकी के रिश्ते तो नही॥

तुम जो पहलू में आ गये मेरे
कितने सपने जगा गये मेरे।
हम तो छाये है सारी महफिल पे
और तुम दिल पे छा गये मेरे॥

दिल ने दिल को आवाज दी है सुन
दिल की दुनिया नवाज दी है सुन।
बरसों खामोश थी मोहब्बत भी
अब वफा ने आवाज दी है सुन॥

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.