कविता

उनकी मोटरसाइकिल और मैं

उनकी मोटरसाइकिल के पहिए सी ज़िन्दगी है मेरी,

चलती ही जा रही है, चलती ही जा रही है

 

हर मोड़ से ज़िन्दगी निकलती है

पर ज़रा तिरछी हो कर

हर मोड़ से ज़िन्दगी निकलती है

पर ज़रा धीमी हो कर

 

सिग्नलों पर ज़िन्दगी अचानक रुकती है

तो हर बार घिसट जाती है

सिग्नलों पर ज़िन्दगी अचानक रुकती है

तो ब्रेक से दब जाती है

 

गड्ढों से जब भी गुज़रती है ज़िन्दगी

तो ज़रा कूदती है ज़रा उछलती है

गड्ढों से जब भी गुज़रती है ज़िन्दगी

तो उनके सँभाले नहीं सँभलती है

 

भीड़भाड़ से गुज़रे तो

वो उसे सबसे बचाते हैं

भीड़भाड़ से गुज़रे तो

उसके लिए लड़ भी जाते हैं

 

खुली-धुली सड़क पर जिन्दगी भागे

तो ज़रा रफ्तार से दौड़े जाती है

खुली-धुली सड़क पर भागे

तो उनके केशों का पसीना सुखाती है

 

भागती है, वह दौड़ती है

केवल घर से दफ़्तर

भागती हूँ मैं, दौड़ती हूँ मैं

केवल रसोई से ड्योढी तक

*****

 

 

*नीतू सिंह

नाम नीतू सिंह ‘रेणुका’ जन्मतिथि 30 जून 1984 साहित्यिक उपलब्धि विश्व हिन्दी सचिवालय, मारिशस द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय हिन्दी कविता प्रतियोगिता 2011 में प्रथम पुरस्कार। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेख, कहानी, कविता इत्यादि का प्रकाशन। प्रकाशित रचनाएं ‘मेरा गगन’ नामक काव्य संग्रह (प्रकाशन वर्ष -2013) ‘समुद्र की रेत’ नामक कहानी संग्रह(प्रकाशन वर्ष - 2016), 'मन का मनका फेर' नामक कहानी संग्रह (प्रकाशन वर्ष -2017) तथा 'क्योंकि मैं औरत हूँ?' नामक काव्य संग्रह (प्रकाशन वर्ष - 2018) तथा 'सात दिन की माँ तथा अन्य कहानियाँ' नामक कहानी संग्रह (प्रकाशन वर्ष - 2018) प्रकाशित। रूचि लिखना और पढ़ना ई-मेल [email protected]

2 thoughts on “उनकी मोटरसाइकिल और मैं

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    वाह वाह ,मज़ा आ गिया .

    • नीतू सिंह

      धन्यवाद सर

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