उनकी मोटरसाइकिल और मैं
उनकी मोटरसाइकिल के पहिए सी ज़िन्दगी है मेरी,
चलती ही जा रही है, चलती ही जा रही है
हर मोड़ से ज़िन्दगी निकलती है
पर ज़रा तिरछी हो कर
हर मोड़ से ज़िन्दगी निकलती है
पर ज़रा धीमी हो कर
सिग्नलों पर ज़िन्दगी अचानक रुकती है
तो हर बार घिसट जाती है
सिग्नलों पर ज़िन्दगी अचानक रुकती है
तो ब्रेक से दब जाती है
गड्ढों से जब भी गुज़रती है ज़िन्दगी
तो ज़रा कूदती है ज़रा उछलती है
गड्ढों से जब भी गुज़रती है ज़िन्दगी
तो उनके सँभाले नहीं सँभलती है
भीड़भाड़ से गुज़रे तो
वो उसे सबसे बचाते हैं
भीड़भाड़ से गुज़रे तो
उसके लिए लड़ भी जाते हैं
खुली-धुली सड़क पर जिन्दगी भागे
तो ज़रा रफ्तार से दौड़े जाती है
खुली-धुली सड़क पर भागे
तो उनके केशों का पसीना सुखाती है
भागती है, वह दौड़ती है
केवल घर से दफ़्तर
भागती हूँ मैं, दौड़ती हूँ मैं
केवल रसोई से ड्योढी तक
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वाह वाह ,मज़ा आ गिया .
धन्यवाद सर