मेरा भोला भगवान
मेरा भगवान भी तो मुझसा भोला है
माखन खिलाऊँ तो खाता है
जहाँ झुलाऊँ झूल जाता है
जब सुलाऊँ सो लेता है
जब रुलाऊँ रो लेता है
जो पिलाऊँ पी लेता है
जैसे जिलाऊँ जी लेता है
मेरा भगवान भी तो मुझसा भोला है
जहाँ कहूँ जन्म ले लेता है
मेरा भगवान भी तो मुझसा भोला है
मेरे हर भजन की धुन लेता है
मैं शंख बजाऊँ तो सुन लेता है
मैं उसे जगाऊँ तो जग जाता है
थोड़ा धोखा करूँ तो ठग जाता है
मेरी कल्पना सा विकराल हो जाता है
कभी तो अणुओं-परमाणुओं में खो जाता है
मेरा भगवान भी तो मुझसा भोला है
जो रूप दिलाऊँ ले लेता है
मेरा भगवान भी तो मुझसा भोला है
असहज सा माँग बैठूँ जो कभी कुछ
देता नहीं चाहें कितना ही हो तुच्छ
रूठ जाऊँ, चीखूँ, मैं चिलाऊँ अगर
मना लेता है कर्मों का फल बताकर
तू जो देता है वो इतना ही देता है
और कर्मों से अतिरिक्त ले लेता है
मेरा भगवान भी तो मुझसा भोला है
जिसके बहाने से खुद को मना लेती हूँ
मेरा भगवान भी तो मुझसा भोला है
जो कभी कुछ गलत कर जाऊँ
तेरे नाम से धमका के खुद डर जाऊँ
तुझ को आदर्श बनाकर चलती हूँ मैं
मनुष्य होकर तब निकलती हूँ मैं
जब तुझे अपना आदर्श बना देती हूँ
और वो आदर्श खुद में पा लेती हूँ
मेरा भगवान भी तो मुझसा भोला है
इंसान को भगवान, भगवान को इंसान बना देता है।
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कविता बहुत अच्छी लगी .
धन्यवाद
बहुत अच्छी कविता, नीतू जी !
धन्यवाद
प्रिय सखी नीतू जी, सचमुच भगवान भोला है और भोलों का भगवान ही सहायक होता है.
शुक्रिया आदरणीया।