बेटी की मुस्कान
घर में इंद्रधनुष की आभा
फैल जाती है
बिटिया के चेहरे पर
जब मुस्कान आती है
समग्र सृष्टि जैसे
मंगल गीत गाती है
बिटिया के चेहरे पर
जब मुस्कान आती है
मेरे मन के गगन का वो ही
सबसे सुंदर तारा है
उसने अपने होने मात्र से
मेरा भाग्य संवारा है
अपने नन्हें हाथों को जब
शीश पे मेरे फिराती है
अष्ट भुजाओं से माँ दुर्गा
अपनी कृपा लुटाती है
समग्र सृष्टि जैसे
मंगल गीत गाती है
बिटिया के चेहरे पर
जब मुस्कान आती है
विशाल मरू से जीवन में
वो तृप्ति का गंगाजल है
ना जाने कितने जन्मों के
पुण्य कार्यो का फल है
परिस्थिति के कारण मन में
जब भी निराशा छाती है
उसकी दृष्टि मेरे भीतर
नव-विश्वास जगाती है
समग्र सृष्टि जैसे
मंगल गीत गाती है
बिटिया के चेहरे पर
जब मुस्कान आती है
घर में इंद्रधनुष की आभा
फैल जाती है
बिटिया के चेहरे पर
जब मुस्कान आती है
— भरत मल्होत्रा
समग्र सृष्टि जैसे
मंगल गीत गाती है
बिटिया के चेहरे पर
जब मुस्कान आती है बहुत सुन्दर शब्द .
प्रिय भरत भाई जी, सचमुच बिटिया के चेहरे की मुस्कान, है जन्मों के पुण्य समान.
बहुत सुंदर कविता, भरत जी !
बहुत सुंदर कविता, भरत जी !