कविता

बेटी की मुस्कान

घर में इंद्रधनुष की आभा
फैल जाती है
बिटिया के चेहरे पर
जब मुस्कान आती है
समग्र सृष्टि जैसे
मंगल गीत गाती है
बिटिया के चेहरे पर
जब मुस्कान आती है

मेरे मन के गगन का वो ही
सबसे सुंदर तारा है
उसने अपने होने मात्र से
मेरा भाग्य संवारा है
अपने नन्हें हाथों को जब
शीश पे मेरे फिराती है
अष्ट भुजाओं से माँ दुर्गा
अपनी कृपा लुटाती है
समग्र सृष्टि जैसे
मंगल गीत गाती है
बिटिया के चेहरे पर
जब मुस्कान आती है

विशाल मरू से जीवन में
वो तृप्ति का गंगाजल है
ना जाने कितने जन्मों के
पुण्य कार्यो का फल है
परिस्थिति के कारण मन में
जब भी निराशा छाती है
उसकी दृष्टि मेरे भीतर
नव-विश्वास जगाती है
समग्र सृष्टि जैसे
मंगल गीत गाती है
बिटिया के चेहरे पर
जब मुस्कान आती है

घर में इंद्रधनुष की आभा
फैल जाती है
बिटिया के चेहरे पर
जब मुस्कान आती है

— भरत मल्होत्रा

*भरत मल्होत्रा

जन्म 17 अगस्त 1970 शिक्षा स्नातक, पेशे से व्यावसायी, मूल रूप से अमृतसर, पंजाब निवासी और वर्तमान में माया नगरी मुम्बई में निवास, कृति- ‘पहले ही चर्चे हैं जमाने में’ (पहला स्वतंत्र संग्रह), विविध- देश व विदेश (कनाडा) के प्रतिष्ठित समाचार पत्र, पत्रिकाओं व कुछ साझा संग्रहों में रचनायें प्रकाशित, मुख्यतः गजल लेखन में रुचि के साथ सोशल मीडिया पर भी सक्रिय, सम्पर्क- डी-702, वृन्दावन बिल्डिंग, पवार पब्लिक स्कूल के पास, पिंसुर जिमखाना, कांदिवली (वेस्ट) मुम्बई-400067 मो. 9820145107 ईमेल- [email protected]

4 thoughts on “बेटी की मुस्कान

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    समग्र सृष्टि जैसे

    मंगल गीत गाती है

    बिटिया के चेहरे पर

    जब मुस्कान आती है बहुत सुन्दर शब्द .

  • लीला तिवानी

    प्रिय भरत भाई जी, सचमुच बिटिया के चेहरे की मुस्कान, है जन्मों के पुण्य समान.

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सुंदर कविता, भरत जी !

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सुंदर कविता, भरत जी !

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