ऐसा समय आ जायेगा!!
नहीं पता था एक दिन—– ऐसा समय आ जायेगा।
एक-दूसरे में कभी बात——– नहीं बन पायेगा।
मार-काट कर आपस में—– अपना चैन गवायेगा।
सुन्दर निद्रा को जीवन में—– मुफ्त में खो जायेगा।
दुनिया की यह रीति बनी—कभी नहीं लौट पायेगा।
कर ले पुरी कोशिश—दुराचरण नहीं छोड़ पायेगा।
माहौल ऐसा बना दिया—-कभी नहीं सुधर पायेगा।
मानव रहकर भी मानव—-कभी नहीं कहलायेगा।
अमानवीय व्यवहार कर— विजय प्राप्त करता है।
अच्छे आचरण त्यागकर अपने को महान समझता है।
नहीं पता था ईश्वर को यह मानव ऐसा बन जायेगा।
अपने सुख के आगे– दूसरों का दुख भूल जायेगा।
धिक्कारता होगा बैठ कर—– ईश्वर इस मानव को,
क्यों बना दिया जीव के रूप में—- इस मानव को।
इससे तो अच्छा है जानवर का वह— छोटा बच्चा।
इन्हीं के इशारे पर करता है—– हर काम अच्छा।
@रमेश कुमार सिंह /२०-१०-२०१५/९:३० साम