गीतिका/ग़ज़ल

तमन्ना दिल से निकलकर मचला गई….

रेत हाथ से फ़िसल कर बहुत कुछ बतला गई
है समय किसी के बस में नहीं यूँ जतला गई।।
हैं पता कि ख्वाहिशें पूरी होती नहीं सभी की
फिर भी तमन्ना दिल से निकलकर मचला गई।।
हर पल सुख की छाँह मिले ये जरुरी तो नहीं
पर उनकी दो मीठी बातें दिल को बहला गई।।
मनाना रूठे मीत को होता नहीं इतना आसान
हो गये वो खुश उनकी मुस्कराहट जतला गई।।

“दिनेश””

दिनेश दवे

नाम : दिनेश दवे पिता का नाम :श्री बालकृष्ण दवे शैक्षणिक योग्यता : बी . ई . मैकेनिकल ,एम .बी.ए. लेखन : विगत चार पांच वर्ष से , साँझा प्रकाशन पता : दिनेश दवे , केमिकल स्टाफ कॉलोनी ,बिरलाग्राम, नागदा जिला उज्जैन ..456331..मध्य प्रदेश

2 thoughts on “तमन्ना दिल से निकलकर मचला गई….

  • लीला तिवानी

    प्रिय दिनेश भाई जी, आपकी खुशी और मुस्कुराहट भी बरकरार रहे.

    • दिनेश दवे

      धन्यवाद आपका स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए

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