तमन्ना दिल से निकलकर मचला गई….
रेत हाथ से फ़िसल कर बहुत कुछ बतला गई
है समय किसी के बस में नहीं यूँ जतला गई।।
हैं पता कि ख्वाहिशें पूरी होती नहीं सभी की
फिर भी तमन्ना दिल से निकलकर मचला गई।।
हर पल सुख की छाँह मिले ये जरुरी तो नहीं
पर उनकी दो मीठी बातें दिल को बहला गई।।
मनाना रूठे मीत को होता नहीं इतना आसान
हो गये वो खुश उनकी मुस्कराहट जतला गई।।
“दिनेश””
प्रिय दिनेश भाई जी, आपकी खुशी और मुस्कुराहट भी बरकरार रहे.
धन्यवाद आपका स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए