दोहा मुक्तक
पारिजात का पुष्प यह, खिली कली मुसकाय
देवलोक की सुंदरता, निरखि हृदय ललचाय
अति पवित्र अति सादगी, अति सुगंध आकार
अतिशय कोमल रूप-रंग, शोभा बरनि कि जाय॥
— महातम मिश्र
पारिजात का पुष्प यह, खिली कली मुसकाय
देवलोक की सुंदरता, निरखि हृदय ललचाय
अति पवित्र अति सादगी, अति सुगंध आकार
अतिशय कोमल रूप-रंग, शोभा बरनि कि जाय॥
— महातम मिश्र