सादर सुप्रभात आदरणीय मित्रों, आज एक चित्र अभिव्यक्ति आप सभी को सादर निवेदित है……..
“दोहा मुक्तक”
पारिजात का पुष्प यह, खिली कली मुसकाय
देवलोक की सुंदरता, निरखि हृदय ललचाय
अति पवित्र अति सादगी, अति सुगंध आकार
अतिशय कोमल रूप-रंग, शोभा बरनि कि जाय॥
महातम मिश्र
प्रिय महातम भाई जी, सुंदर प्रस्तुति.
सादर धन्यवाद आदरणीया बहन लीला जी, आभार