मुझे गीत वसंत का गाने दो
मुझे गीत वसंत का गाने दो,
कुछ देर तो ग़म को भुलाने दो
कभी आंधी-पानी ने मारा
कभी शीत पड़ी, कभी है पाला
कभी गर्मी से मन मुरझाया
कुछ देर तो मन महकाने दो
मुझे गीत वसंत का गाने दो…
कभी भेदभाव ने भरमाया
कभी ऊंच-नीच की है छाया
कभी भाग्य ने फैलाई माया
कुछ देर तो मधु छलकाने दो
मुझे गीत वसंत का गाने दो…
कभी आधि रही, कभी व्याधि रही
कभी बाधाएं भी आती रहीं
कभी बुद्धि चकित चकराती रही
कुछ देर तो मन हर्षाने दो
मुझे गीत वसंत का गाने दो…
कभी कांटों ने दामन पकड़ा
कभी अंधविश्वासों ने जकड़ा
कभी असफलता का भार पड़ा
कुछ देर तो मन बहलाने दो
मुझे गीत वसंत का गाने दो…
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वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हआदरणीया बहन लाजवाब सृजन के लिए बधाई
प्रिय राजकिशोर भाई जी, लाजवाब प्रतिक्रिया के लिए हम भी आपके शुक्रगुज़ार हैं.
वाह! अतिसुन्दर गीत प्रिय सखी जी शुक्रिया
प्रिय सखी मनजीत जी, प्रोत्साहन के लिए शुक्रिया.
कभी आंधी-पानी ने मारा
कभी शीत पड़ी, कभी है पाला
कभी गर्मी से मन मुरझाया
कुछ देर तो मन महकाने दो
मुझे गीत वसंत का गाने दो… बहुत खूब !
प्रिय गुरमैल भाई जी, आपने गीत की अनमोल मणि ढूंढ निकाली है. प्रोत्साहन के लिए शुक्रिया.
बहुत सुंदर गीत, बहिन जी !
प्रिय विजय भाई जी, प्रोत्साहन के लिए शुक्रिया.