कविता

काहिल

जब घर बैठे प्रसाद मिले तो कोई मंदिर क्यों जाए

जब मस्त बयार बहे तो पंखा कोई क्यों हिलाए

काम कभी कोई रूका नहीं फिर क्यों काम करते जाएं

ऐसा करें कि काम कोई करे और हम ईनाम पाएं

 

जब बारिश में ही भीग लिए तो फिर क्यों नहाएं

दूसरे चलकर आएं हम तक फिर हम उठकर क्यों जाएं

अरे छोड़ो यारों! हम नहीं जाते बॉस बुलाए तो बुलाए

उसे इंतजार करने दो वरना किसी और से काम कराए

ऑफिस जल्दी आए नहीं तो क्या, क्यों न घर जल्दी जाएं

 

हलचल गर पानी में है ही तो कंकड क्यों उठाएं

फल तो गिर ही जाते हैं फिर हम क्यों पेड पर चढ़ जाएं

गलती किसी ने पकड़ी नहीं तो क्यों हम बताने जाएं

अच्छा-खासा सब चल रहा हो तो फोकट में गाली क्यूं खाएं

रिश्वत का मौका मिला नहीं, तो क्यों न ईमानदार कहलाएं।

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*नीतू सिंह

नाम नीतू सिंह ‘रेणुका’ जन्मतिथि 30 जून 1984 साहित्यिक उपलब्धि विश्व हिन्दी सचिवालय, मारिशस द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय हिन्दी कविता प्रतियोगिता 2011 में प्रथम पुरस्कार। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेख, कहानी, कविता इत्यादि का प्रकाशन। प्रकाशित रचनाएं ‘मेरा गगन’ नामक काव्य संग्रह (प्रकाशन वर्ष -2013) ‘समुद्र की रेत’ नामक कहानी संग्रह(प्रकाशन वर्ष - 2016), 'मन का मनका फेर' नामक कहानी संग्रह (प्रकाशन वर्ष -2017) तथा 'क्योंकि मैं औरत हूँ?' नामक काव्य संग्रह (प्रकाशन वर्ष - 2018) तथा 'सात दिन की माँ तथा अन्य कहानियाँ' नामक कहानी संग्रह (प्रकाशन वर्ष - 2018) प्रकाशित। रूचि लिखना और पढ़ना ई-मेल [email protected]