चाहत
आज भी दिल में तुम्हारी शमां जलाये बैठे हैं।
तेरी भोली सी सूरत दिल में छुपाये बैठे हैं।
इन्तजार मेरी आँखों को हर पल रहता है,
तेरी ही हर नखरे दिल में सजाये बैठे हैं।
ख्वाबों में ख्यालों में बस तू ही नजर आती है,
हर रचना की हर पंक्ति में तुम्हें बसाये बैठे हैं।
तुम मानो या ना मानों तू याद बहुत आती हो,
मिलने की आस में पलक-पाँवड़े बिछाए बैठे हैं।
सपनों में तुम्हारी आहट से बेचैन हो उठता हूँ,
इस कदर तुम्हारे आने की चाहत बनाये बैठे हैं।
@रमेश कुमार सिंह /१७-१२-२०१५
अच्छी ग़ज़ल !
आभार आदरणीय!!