असली गरीबी
हम क्यों सोचते हैं
कि हम गरीब हैं
शायद हमने देना नहीं सीखा
हमारा चेहरा एक मुस्कान दे सकता है
हमारा मुंह किसी की प्रशंसा कर सकता है
या बोल सकता है दो मीठे बोल
दूसरों को सुकून पहुंचाने के लिए
हमारे हाथ किसी ज़रूरतमंद की सहायता कर सकते हैं
वास्तव में हम में से कोई भी गरीब नहीं हैं
मन की गरीबी ही असली गरीबी है.
वाहह लाजवाब बहन जी सुंदर सृजन के लिए बधाई
प्रिय राजकिशोर भाई जी, आपकी प्रतिक्रिया भी लाजवाब है.
बहुत अच्छी बात, बहिन जी ! जो मन से गरीब हैं वे धन के अमीर होने पर भी गरीब ही माने जायेंगे.
प्रिय विजय भाई जी, आपने बिलकुल ठीक कहा है.
प्रिय गुरमैल भाई जी, आपने बिलकुल दुरुस्त फरमाया है.
प्रिय गुरमैल भाई जी, ब्लॉग का संज्ञान लेने, आपने बिलकुल दुरुस्त फरमाया है.
वास्तव में हम में से कोई भी गरीब नहीं हैं
मन की गरीबी ही असली गरीबी है. गेहराई की बातें ! गरीबी में लेना ही होता है ,अमीरी में दे सकने की क्षमता होती है , कुछ लफ़्ज़ों से अगर किसी को ख़ुशी दे सकें तो वोह अमीरी ही तो है .
प्रिय सखी नीतू जी, बहुत-बहुत शुक्रिया.
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अच्छे विचार हैं