वक़्त कब बदलेगा-
वक़्त कब बदलेगा-
क्यों इसे किसी का हँसता चेहरा नहीं भाता है,,
चार पल की खुशी इससे देखी नहीं जाती
पल ही पल में गम का बादल घिर आता है.
शांत मन से उठता है सुबह सुबह यह आदमी
बड़े उत्साह से समाचार पत्र उठाता है-
दुर्घटना, मारकाट, भ्र्ष्टाचार, बलात्कार-
इन सब के पढ़ कर समाचार —
मन ही मन एक असहाय सा-
मानव बन कर रह जाता है,
बस इसी में उलझ कर,रह जाता है इंसान –
खुशियों से रहता है,कितना अनजान,
और फिर सोचता है–
कब यह वक़्त बदलेगा-
कब ख़ुशी के बादल छायेंगें,
और सब मेहनतकश इंसान भी –
जीवन में अधिक सुख पायेंगें
क्यों इसे किसी का हँसता चेहरा नहीं भाता है,,
चार पल की खुशी इससे देखी नहीं जाती
पल ही पल में गम का बादल घिर आता है.
शांत मन से उठता है सुबह सुबह यह आदमी
बड़े उत्साह से समाचार पत्र उठाता है-
दुर्घटना, मारकाट, भ्र्ष्टाचार, बलात्कार-
इन सब के पढ़ कर समाचार —
मन ही मन एक असहाय सा-
मानव बन कर रह जाता है,
बस इसी में उलझ कर,रह जाता है इंसान –
खुशियों से रहता है,कितना अनजान,
और फिर सोचता है–
कब यह वक़्त बदलेगा-
कब ख़ुशी के बादल छायेंगें,
और सब मेहनतकश इंसान भी –
जीवन में अधिक सुख पायेंगें
— जय प्रकाश भाटिया
अच्छा बुरा सब होता रहता है, पर अच्छी खुश करने वाली खबरे देखने को नहीं मिलती , नकारात्मक का ज्यादा प्रचार होता है, या फालतू ख़बरें जैसे दो दिन पहले एक विमान में मच्छर घुसने के कारण फ्लाइट का देर से उड़ना — को एक टीवी चैनल पर बहुत बड़ी खबर बताया गया,
संसार में नकार्त्मिक ख़बरों की ओर हम ज़िआदा धियान देते हैं लेकिन सकार्त्मिक ख़बरों को सरसरी नज़र से नज़रंदाज़ कर देते हैं .और इस में आयु का भी बहुत बड़ा रोल है ,जैसा कि मैं बूडा हूँ ,इस लिए बुरी बातों को ज़िआदा देखता हूँ ,युवा लोग ऐसी बातों की ओर देखते भी नहीं .
वक्त तो हमेशा बदलता रहता है. दुनिया में भली बुरी घटनायें भी होती रहती हैं. आज प्रचार अधिक होता है यह जरूर है. हमेशा अच्छी अच्छी घटनाएँ ही घटें यह संभव नहीं.
पुराने ज़माने में जो लोग गाँवों में रहते थे ,उन को कोई खबर नहीं मिलती थी ,हाँ कभी कभी गाँव में ही कोई बात हो जाती तो चर्चा का विषय बन जाती, इसी लिए गाँव में शान्ति होती थी और दिल दिमाग पर इतना बोझ नहीं पड़ता था लेकिन आज तो मिडिया का युग है ,सुबह उठते ही टीवी चैनल पर जोर जोर से बैक मिऊजिक के साथ खबर आती है जिस से सीधे दिल पर चोट लगती है .
पुराने ज़माने में जो लोग गाँवों में रहते थे ,उन को कोई खबर नहीं मिलती थी ,हाँ कभी कभी गाँव में ही कोई बात हो जाती तो चर्चा का विषय बन जाती, इसी लिए गाँव में शान्ति होती थी और दिल दिमाग पर इतना बोझ नहीं पड़ता था लेकिन आज तो मिडिया का युग है ,सुबह उठते ही टीवी चैनल पर जोर जोर से बैक मिऊजिक के साथ खबर आती है जिस से सीधे दिल पर चोट लगती है .