कविता

कविता : जब प्रेम संग-संग चला

अँधेरी राहें हुई उजली
जब प्रेम संग – संग चला।

जब मिले थे मैं – तुम पहली बार
लाए थे प्रेम का नजराना
बेला के गजरे – हार
महका था तब प्यार
कम्पित हाथों से गजरा
जब तुमने मेरे
केश कुंज में सजाया था
तब उड़ी दिल की फुलकारी
सुरभित हुई प्यार की फुलवारी
और पास आने लगी
धडकनों की धड़कनें
तुम मेरे अपने लगने लगे
तारावलियाँ बतियाती थीं
चंदा – मंगल की सैर कराती थीं
तेरी साँसों की आभा
भू से नभ को चमकाती थी
कामदेव औ’ रति बन
साँसों के बिम्बों में बेला ने
प्रेम वसंत महका दिया

अँधेरी राहें हुई उजली
जब प्रेम संग – संग चला।

मंजु गुप्ता

जन्म : २१. २. १९५३ , ऋषिकेश , उत्तरांचल शिक्षा : एम.ए ( राजनीति शास्त्र ) , बी.एड शिक्षण : हिंदी शिक्षिका, जयपुरियार सीबीएससी हाईस्कूल, सानपाड़ा नवीमुंबई संप्रति : सेवा निवृत मुख्य अध्यापिका , श्री राम है स्कूल , नेरूल , नवी मुंबई। कृतियाँ :प्रांतपर्वपयोधि काव्य,दीपक नैतिक कहानियाँ,सृष्टि खंडकाव्य,संगम काव्य अलबम नैतिक कहानियाँ , भारत महान बालगीत सार निबंध,परिवर्तन कहानियाँ। प्रेस में : जज्बा ( देश भक्ति गीत ) रुचियाँ : बागवानी , पेंटिंग , प्रौढ़ शिक्षा और सामाजिकता प्रकाशन : देश - विदेश की विभिन्न समाचारपत्रों ,पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। उपलब्धियां : समस्त भारत की विशेषताओं को प्रांतपर्व पयोधि में समेटनेवाली प्रथम महिला कवयित्री , मुंबई दूरदर्शन से सांप्रदायिक सद्भाव पर कवि सम्मेलन में सहभाग , गांधी जीवन शैली निबंध स्पर्धा में तुषार गांधी द्वारा विशेष सम्मान से सम्मानित , माॅडर्न कॉलेज वाशी द्वारा सावित्री बाई फूले पुरस्कार से सम्मानित , भारतीय संस्कृति प्रतिष्ठान द्वारा प्रीत रंग में स्पर्धा में पुरस्कृत , आकाशवाणी मुंबई से कविताएँ प्रसारित , विभिन्न व्यंजन स्पर्धाओं में पुरस्कृत, दूरदर्शन पर अखिल भारतीय कविसम्मेलन में सहभाग । सम्मान : वार्ष्णेय सभा मुंबई , वार्ष्णेय चेरिटेबल ट्रस्ट नवी मुंबई , एकता वेलफेयर असोसिएन नवी मुंबई , मैत्री फाउंडेशन विरार , कन्नड़ समाज संघ , राष्ट्र भाषा महासंघ मुंबई , प्रेक्षा ध्यान केंद्र , नवचिंतन सावधान संस्था मुंबई कविरत्न से सम्मानित , हिन्द युग्म यूनि कवि सम्मान , राष्ट्रीय समता स्वतंत्र मंच दिल्ली द्वारा महिला शिरोमणी अवार्ड के लिए चयन आदि। संपर्क :19, द्वारका, प्लॉट क्रमांक 31, सेक्टर 9A वाशी, नवी मुंबई400703 भारत . फोन : 022 - 27882407 / 09833960213 ई मेल : [email protected]

4 thoughts on “कविता : जब प्रेम संग-संग चला

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    अँधेरी राहें हुई उजली

    जब प्रेम संग – संग चला। इस में ही सब कुछ कह दिया ,सुन्दर कविता .

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    अँधेरी राहें हुई उजली

    जब प्रेम संग – संग चला। इस में ही सब कुछ कह दिया ,सुन्दर कविता .

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी कविता !

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