धर्म से ऊपर दोस्ती
”जितना प्यार पाया है आप से,
उससे ज़्यादा पाने को जी चाहता है,
न जाने वो कौन सी खूबी है आप में कि,
आप से दोस्ती निभाने को जी चाहता है.”
दोस्ती और प्यार के लिए कोई सीमा-रेखा निर्धारित नहीं होती. दोस्ती जाने-अनजाने किसी से भी हो जाती है. दोस्ती और प्यार के लिए ज़रूरत है, समान विचारधारा और आपसी विश्वास की. इन्हीं दो स्तंभों पर दोस्ती का टिकाव और निभाव होता है.
अक्सर हमें धर्म से ऊपर दोस्ती के अनेक उदाहरण मिलते रहते हैं. दोस्ती और प्यार की अनेक मिसालें हम अपने ब्लॉग्स में प्रस्तुत करते आए हैं. प्रस्तुत है एक और मिसाल. अभी हाल में केरल के एक मंदिर ने हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल कायम की है. एक मुस्लिम शख़्स की हत्या के बाद शोक के तौर पर दो दिन तक इस मंदिर में पूजा रोक दी गई.
मामला तिरुवनंतपुरम जिले के अट्टिनगल के पास पुत्थेनाड़ा स्थित शिव मंदिर का है. एक भीड़ ने एक मुस्लिम शख्स की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. यह शख्स मंदिर से काफी समय से जुड़ा हुआ था. उसकी मौत के बाद शोक स्वरूप दो दिन तक मंदिर में पूजा नहीं की गई.
23 साल के एमवी शब्बीर इस मंदिर की कार्यकारी समिति के सदस्यों में से एक थे. इस समिति द्वारा मंदिर में हर साल शिव के त्योहार का आयोजन किया जाता रहा है. पिछले रविवार को शब्बीर को एक भीड़ ने बुरी तरह इसलिए पीटा, क्योंकि वह इलाके में एक हाथी को भीड़ द्वारा परेशान करने के मामले का गवाह था. शब्बीर ने मामले की शिकायत पुलिस में भी की थी. बाद में चोट की वजह से शब्बीर की मौत हो गई थी.
इसी सोमवार और मंगलवार को शिव मंदिर के अधिकारियों ने शब्बीर की मौत पर संवेदना जाहिर करने के लिए मंदिर का घंटा नहीं बजाने का फैसला किया. साथ ही मंदिर में हर दिन जो पांच पूजा होती है, उनका आयोजन भी नहीं किया गया. हालांकि, श्रद्धालुओं के लिए सुबह में दर्शन के लिए मंदिर खुला रहा.
मंदिर की कार्यकारी समिति के सदस्य एन उन्नी ने कहा, ‘यह धर्म से ऊपर दोस्ती की बात है. हमने मंदिर समिति में शब्बीर को कभी भी मुसलमान के तौर पर नहीं देखा. हमारी समिति में शब्बीर सबसे सक्रिय सदस्यों में से एक था.’
उन्नी भाई, आपने आपने बिलकुल दुरुस्त फरमाया है, कि धर्म से ऊपर दोस्ती है. हम आपकी और मंदिर की कार्यकारी समिति के सदस्यों की इस बात से पूर्णतया सहमत हैं. दोस्ती की इस मानवीयतापूर्ण मिसाल के लिए आप सबको कोटिशः सलाम.
अपना ब्लॉग में प्रकाशित ब्लॉग्स का यह 543वां ब्लॉग है. बाकी ब्लॉग्स के लिए देखें-
http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/rasleela/
प्रिय गुरमैल भाई जी, आपके प्रोत्साहक शब्द हमारे लिए आशीर्वाद हैं.
”ब्लॉग बहुत अच्छा लगा जी ,धर्मों के बीच ऐसी प्रेम भावना हो तो कभी भी साम्प्रदायिक दंगे नहीं होंगे .”
प्रिय सखी नीतू जी, लाजवाब प्रतिक्रिया.
कितनी छोटी सी बात है, जो सारे देश को समझनी है। धर्म व्यक्तिगत होता है और इंसानियत सामाजिक। समाज को दिखाने के लिए धर्म नहीं होता अपने व्यक्तिगत जीवन और मानसिक बल को संवारने के लिए होता है
प्रिय विजय भाई जी, आपकी नायाब प्रतिक्रिया हमारे लिए प्रोत्साहन है, शुक्रिया.
बहुत अच्छा लेख, बहिन जी !