प्रेम के त्योहार
अभी कुछ दिन पहले वसंत ऋतु की दस्तक आई,
प्रेम का परम्परागत मदनोत्सव साथ लाई ।
जाते-जाते चुपके-से कान में शायद यह कह गई,
प्रेम के और भी त्योहार भी आने वाले हैं भाई ॥
ऐसे रंगबिरंगे गुलाबों को वसंत ले आया,
कि, हमने प्रेम से रोज़ डे का त्योहार मनाया ।
प्रेम का वह त्योहार भी हौले से कह गया,
धीरज रखो वेलेंटाईन डे भी मान लो, आया-कि-आया ॥
इतने में वेलेंटाईन डे की आहट दे गई सुनाई,
फूलवालों की अपार मौज बन आई ।
कई दिन पहले से की गई बुकिंग पूरी करते-करते,
वेलेंटाईन डे की प्यारी शुभ वेला भी है आई ॥
इस दिन को भी सब उत्साह से मनाएंगे,
अपने प्यारों को प्यार के इज़हार से सजाएंगे ।
नववार से यानी प्रपोज़ डे से शुरु करके,
न जाने कब तक इसकी महक लुटाएंगे ॥
वेलेंटाईन डे भी जाते-जाते एक संदेश देता जाएगा,
तैयारी कर लो अभी तो प्रेम का ख़ास त्योहार होली का आएगा ।
होली पर भी सभी वैर-भाव भुलाकर गले लग जाएंगे,
प्रेम का अथाह सागर प्रेम की रंगीन हिलोरें लाएगा ॥
मानो तो, प्रेम प्रभु का अनुपम वरदान है,
प्रेम ही मानव की मानवता की पहचान है ।
प्रेम बिना जीना भी क्या सचमुच जीना है ?
सच्चे प्यार में तो समर्पण का अपना अलग ही स्थान है ॥
आइए, सब मिलकर प्रेम के इन त्योहारों को मनाएं,
प्रेम दिल खोलकर बांटें, मिले तो अवश्य निभाएं ।
प्रेम कोई व्यापार नहीं है और न ही लेन-देन का मोहताज है,
बस प्रेम बिना किसी शर्त के दें और जीवन सफल बनाएं ॥
प्रिय विजय भाई जी, प्रोत्साहन के लिए शुक्रिया.
बहुत अच्छी कविता बहिन जी !
प्रिय गुरमैल भाई जी,
जब वातावरण में हो प्रेम का उन्मत्त करने वाला उजास,
तब मन में स्वतः ही होगा उल्लास-ही-उल्लास.
प्रिय गुरमैल भाई जी,
जब वातावरण में हो प्रेम का उन्मत्त करने वाला उजास,
तब मन में स्वतः ही होगा उल्लास-ही-उल्लास.
तिओहार भी फूलों के रंगों जैसे हैं .जब भी आते हैं ,इन को ना भी मनाएं ,फिर भी एक उल्हास सा मन में आ जाता है ,मन खुश खुश लगने लगता है .