कविता

प्रेम के त्योहार

अभी कुछ दिन पहले वसंत ऋतु की दस्तक आई,
प्रेम का परम्परागत मदनोत्सव साथ लाई ।
जाते-जाते चुपके-से कान में शायद यह कह गई,
प्रेम के और भी त्योहार भी आने वाले हैं भाई ॥

ऐसे रंगबिरंगे गुलाबों को वसंत ले आया,
कि, हमने प्रेम से रोज़ डे का त्योहार मनाया ।
प्रेम का वह त्योहार भी हौले से कह गया,
धीरज रखो वेलेंटाईन डे भी मान लो, आया-कि-आया ॥

इतने में वेलेंटाईन डे की आहट दे गई सुनाई,
फूलवालों की अपार मौज बन आई ।
कई दिन पहले से की गई बुकिंग पूरी करते-करते,
वेलेंटाईन डे की प्यारी शुभ वेला भी है आई ॥

इस दिन को भी सब उत्साह से मनाएंगे,
अपने प्यारों को प्यार के इज़हार से सजाएंगे ।
नववार से यानी प्रपोज़ डे से शुरु करके,
न जाने कब तक इसकी महक लुटाएंगे ॥

वेलेंटाईन डे भी जाते-जाते एक संदेश देता जाएगा,
तैयारी कर लो अभी तो प्रेम का ख़ास त्योहार होली का आएगा ।
होली पर भी सभी वैर-भाव भुलाकर गले लग जाएंगे,
प्रेम का अथाह सागर प्रेम की रंगीन हिलोरें लाएगा ॥

मानो तो, प्रेम प्रभु का अनुपम वरदान है,
प्रेम ही मानव की मानवता की पहचान है ।
प्रेम बिना जीना भी क्या सचमुच जीना है ?
सच्चे प्यार में तो समर्पण का अपना अलग ही स्थान है ॥

आइए, सब मिलकर प्रेम के इन त्योहारों को मनाएं,
प्रेम दिल खोलकर बांटें, मिले तो अवश्य निभाएं ।
प्रेम कोई व्यापार नहीं है और न ही लेन-देन का मोहताज है,
बस प्रेम बिना किसी शर्त के दें और जीवन सफल बनाएं ॥

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

5 thoughts on “प्रेम के त्योहार

  • लीला तिवानी

    प्रिय विजय भाई जी, प्रोत्साहन के लिए शुक्रिया.

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छी कविता बहिन जी !

  • लीला तिवानी

    प्रिय गुरमैल भाई जी,

    जब वातावरण में हो प्रेम का उन्मत्त करने वाला उजास,

    तब मन में स्वतः ही होगा उल्लास-ही-उल्लास.

  • लीला तिवानी

    प्रिय गुरमैल भाई जी,

    जब वातावरण में हो प्रेम का उन्मत्त करने वाला उजास,

    तब मन में स्वतः ही होगा उल्लास-ही-उल्लास.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    तिओहार भी फूलों के रंगों जैसे हैं .जब भी आते हैं ,इन को ना भी मनाएं ,फिर भी एक उल्हास सा मन में आ जाता है ,मन खुश खुश लगने लगता है .

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