एक क्षणिका
नहीं हुआ मिलन
राम का सीता से
पुरुरवा का उर्वशी से
लैला का मजनूं से
सोनी का महिवाल से
शीरी का फरहा से
रोमियो का जूलियट से
मस्तानी का बाजीराव से
अंतिम दिनों में
क्यों?
— अरुण निषाद
नहीं हुआ मिलन
राम का सीता से
पुरुरवा का उर्वशी से
लैला का मजनूं से
सोनी का महिवाल से
शीरी का फरहा से
रोमियो का जूलियट से
मस्तानी का बाजीराव से
अंतिम दिनों में
क्यों?
— अरुण निषाद
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अच्छी क्षणिका !
साभार धन्यवाद सर जी.सादर प्रणाम
किओंकि इस संसार में अगर अच्छाई है तो बुराई भी है .
साभार धन्यवाद सर जी.प्रणाम
सुन्दर
प्रणाम सर जी