दो मुक्तक
दूर रह कर दूरियों को बढा़या नहीं करते
अपने चाहने वाले को सताया नहीं करते
हर वक्त जिसे हो आपका ख्याल
रह-रह कर उसे तड़पाया नहीं करते
हर बार वो कहता है तुम्हें भूल जायेंगे
बार बार वो कहता है तुम्हें भूल जायेंगे
था खत उसी का.लिखा था वही फिर
इस बार कहता हूं तुम्हें भूल जायेंगे
— अरुण निषाद
वाह वाह !
साभार धन्यवाद सर जी
बढिया .
प्रणाम सर जी
प्रिय अरुण भाई जी, अति सुंदर.
सादर प्रणाम
बहुत खूब!!
सादर प्रणाम सर जी