मुक्तक/दोहा

दो मुक्तक

दूर रह कर दूरियों को बढा़या नहीं करते
अपने चाहने वाले को सताया नहीं करते
हर वक्त जिसे हो आपका ख्याल
रह-रह कर उसे तड़पाया नहीं करते

हर बार वो कहता है तुम्हें भूल जायेंगे
बार बार वो कहता है तुम्हें भूल जायेंगे
था खत उसी का.लिखा था वही फिर
इस बार कहता हूं तुम्हें भूल जायेंगे

अरुण निषाद

डॉ. अरुण कुमार निषाद

निवासी सुलतानपुर। शोध छात्र लखनऊ विश्वविद्यालय ,लखनऊ। ७७ ,बीरबल साहनी शोध छात्रावास , लखनऊ विश्वविद्यालय ,लखनऊ। मो.9454067032

8 thoughts on “दो मुक्तक

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह वाह !

    • अरुण निषाद

      साभार धन्यवाद सर जी

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बढिया .

    • अरुण निषाद

      प्रणाम सर जी

  • लीला तिवानी

    प्रिय अरुण भाई जी, अति सुंदर.

    • अरुण निषाद

      सादर प्रणाम

    • अरुण निषाद

      सादर प्रणाम सर जी

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