गीता छन्द
26 मात्रा (14,12)
मापनी 2212 2212 221
है खूबसूरत ज़िन्दगी,सब जानते यह बात
फिर क्यों गँवाते हैं इसे,प्रभु से मिली सौगात
जो जान लेता भेद यह,पा जाए फिर वो पार
खुशियाँ कहीं गम का दिखे,सारा यही संसार ।।।
आओ चलें मिलकर सभी,हो पूर्ण सबके काज
खुशियाँ सदा बरसे यहाँ,हो खूबसूरत साज़
सपने हकीकत हो सके,मन में रखो यह आस
अपने भरोसे से बड़ें,जीवन बने फिर खास।।।
अपने उसूलों पर टिकें,हो यह सदा विशवास
पहचान ऐसी फिर बने,जब तक चले यह सांस
भूले न इनको हम कभी,मन में रहे यह याद
जन याद हमको सब करें,जग में हमारे बाद।।।
साहिब समाते रोम में,उनसे हमें अब काम
जो पार भव से हैं करे,उनका जपें हम नाम
जग में कहां अब है मिले,यूं नाम का यह दान
दिन रात तुम यूंही जपो,जब तक चले यह जान।।।
कामनी गुप्ता ***
बहुत सुंदर !
धन्यवाद सर जी