हृदय रोगों से बचाव
आजकल हृदय रोग बहुत फैल रहे हैं। पहले यह रोग प्राय: बड़ी उम्र वाले पुरुषों को ही हुआ करते थे, परंतु अब तो बच्चे-बूढ़े-जवान स्त्री-पुरुष सभी को हो जाते हैं। गलत जीवन शैली और भारी प्रदूषण ही इसका प्रमुख कारण है।
हृदय रोग अपने आप में कोई स्वतंत्र रोग नहीं है बल्कि अन्य कई रोगों का सम्मिलित परिणाम होता है। इसी कारण केवल हृदय बदलने से या बाईपास सर्जरी करने से कुछ समय बाद फिर पहले जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
हृदय रोगों के साथ बुरी बात यह है कि किसी को हृदयाघात होने से पहले इसके कोई लक्षण किसको नज़र नहीं आते। इस कारण लोग इससे बचाव का प्रबंध नहीं कर पाते। फिर भी कुछ उपाय हैं जिनके द्वारा हृदय दुर्बलता और उससे उत्पन्न होने वाले हृदयाघात से बचा रहा जा सकता है।
हृदय रोग उत्पन्न होने के कई कारण होते हैं। कुछ रोग जैसे रक्तचाप, मोटापा, मधुमेह, मूत्र विकार, चिंताग्रस्त रहना आदि मिलकर हृदय पर बहुत बोझ डालते हैं। इससे हृदय धीरे-धीरे दुर्बल हो जाता है। इसलिए हृदय को स्वस्थ रखने के लिए इन सभी रोगों से बचे रहना अावश्यक है।
इन विभिन्न रोगों से बचने के बारे में बहुत कुछ कहा जा सकता है। संक्षेप में इतना ही समझ लीजिए कि यदि आप हृदय रोगों से बचना चाहते हैं तो आपको खूब पानी पीना चाहिए, अधिक से अधिक पैदल चलना चाहिए, पर्याप्त शारीरिक श्रम या व्यायाम करना चाहिए, गहरी सांसें लेनी चाहिए, सात्विक वस्तुएँ उचित मात्रा में खानी चाहिए तथा सबसे बढ़कर हमेशा प्रसन्नचित्त रहना चाहिए।
— विजय कुमार सिंघल
लेख अत्यंत महत्वपूर्ण एवं ज्ञानवर्धक है। वैदिक जीवन पद्धत्ति में संध्या एवं अग्निहोत्र सहित सद्ग्रन्थों के स्वाध्याय, शुद्ध व पौष्टिक भोजन, आसान-प्राणायाम आदि को महत्व दिया गया है। इन्हे करने से भी ह्रदय रोग से बचाव होता है, ऐसा मुझे लगता है। सादर।
आभार मान्यवर! आपका कहना सही है.
हार्दिक धन्यवाद महोदय। आज प्रातः स्वाध्याय करते हुवे ऋग्वेद के मंत्र संख्या ७/५ पर दृष्टि पड़ी। इसमें अमीवहा संस्कृत शब्द के द्वारा कहा गया है कि – हे ईश्वर आप हमारे मानसिक, आत्मिक तथा दैहिक सर्व रोगो के निवारक हो। अतः प्रार्थना भी रोग से बचाव व उपचार दोनों में किंचित सहायक होती है, ऐसा आभास होता है। आवश्यकता नहीं थी, फिर भी लिख दिया है।
आभार मान्यवर! आपका कहना सही है.
प्रिय विजय भाई जी, भजन और भावगीत में भी ऑप्शन दिया जा सकता है.
आप कहती हैं तो भजन/भावगीत की एक अलग श्रेणी बना देता हूँ.
प्रिय विजय भाई जी, बना देंगे तो अच्छा है. आस्था चैनल ने जब यह गीत प्रसारित किया था, तो इसे भावगीत नाम दिया था.
आप कहती हैं तो भजन/भावगीत की एक अलग श्रेणी बना देता हूँ.
प्रिय विजय भाई जी, आप तो जानते ही होंगे, कि गीत और भजन के बीच में एक और भावगीत का स्तर होता है. जय विजय में गीत/ नवगीत का ऑप्शन तो है, लेकिन भावगीत का नहीं. क्या भावगीत का ऑप्शन ऐड हो सकता है?
बहिन जी, भावगीत को आप गीत/नवगीत श्रेणी में ही लगा सकती हैं. या कविता श्रेणी में. इसके लिए अलग आप्शन की आवश्यकता मैं नहीं समझता. अधिक श्रेणियां होना अच्छा नहीं है. इसलिए मैं कई में दो-दो को एक साथ रख दिया है.
बहिन जी, भावगीत को आप गीत/नवगीत श्रेणी में ही लगा सकती हैं. या कविता श्रेणी में. इसके लिए अलग आप्शन की आवश्यकता मैं नहीं समझता. अधिक श्रेणियां होना अच्छा नहीं है. इसलिए मैं कई में दो-दो को एक साथ रख दिया है.
प्रिय विजय भाई जी, आप बहुत कुछ जानते हुए भी अपने को ‘अंजान’ कहलाते हैं, इसका कोई विशेष कारण?
बहिन जी, यह मेरा उपनाम है, जो मेरी एक घनिष्ठ मित्र ने रखा था. उसको अच्छा लगा और मुझे भी, तो रख लिया. अब बदलने के बारे में नहीं सोच रहा. वैसे इसका उपयोग कम ही करता हूँ.
प्रिय विजय भाई जी, मित्र के इस स्नेह स्वीकारने में भी कोई हर्ज़ नहीं, विद्वान लोग वैसे भी अनजान बनकर ही रहना चाहते हैं.
प्रिय विजय भाई जी, मित्र के इस स्नेह स्वीकारने में भी कोई हर्ज़ नहीं, विद्वान लोग वैसे भी अनजान बनकर ही रहना चाहते हैं.
बहिन जी, यह मेरा उपनाम है, जो मेरी एक घनिष्ठ मित्र ने रखा था. उसको अच्छा लगा और मुझे भी, तो रख लिया. अब बदलने के बारे में नहीं सोच रहा. वैसे इसका उपयोग कम ही करता हूँ.
प्रिय विजय भाई जी, आपने संक्षेप में ही हृदय रोगों से बचाव की सम्पूर्ण जानकारी दे दी है. आपकी विद्वता के अनेक रूप हम देख चुके हैं, इस छोटे-से आलेख से हमने जाना, कि संक्षिप्तीकरण भी एक अनुपम कला है, इसमें भी आप माहिर हैं. एक शानदार-जानदार आलेख के लिए आभार.
बहुत बहुत धन्यवाद, बहिन जी. वास्तव में मैं whatsapp पर एक ग्रुप चलता हूँ “स्वास्थ्य एवं योग” जिसमें २०० से अधिक सदस्य हैं. मैं इस समूह में योग तथा प्राकृतिक चिकित्सा द्वारा बीमारियों को ठीक करने और उनसे बचने की सलाह देता हूँ. अब तक बहुत से लग ऐसी ऐसी बीमारियों से मुक्त हो गए हैं जो कई वर्षों तक एलोपैथी होम्योपैथी आदि का इलाज कर कर् करके परेशान हो गए थे. वहीँ पर ऐसे ही एक सज्जन की मांग पर यह छोटा सा लेख लिखा था, जो यहाँ लगा दिया है.
अगर आप whatsapp पर हैं तो इस समूह का सदस्य बन सकती हैं और दूसरों को बना सकती हैं. मेरा मोबाइल न. 9919997596 है.
वैसे मैं जल्दी ही फेसबुक पर भी ऐसा ही एक समूह बनाने की सोच रहा हूँ. पर उसमें मुझे समय बहुत देना पड़ेगा, इसलिए हिचक रहा हूँ. फिर भी बनाऊंगा जरूर. आपका आशीर्वाद बना रहे.
प्रिय विजय भाई जी, हम फेसबुक की प्रतीक्षा करना चाहेंगे.
प्रिय विजय भाई जी, हम फेसबुक की प्रतीक्षा करना चाहेंगे.
बहुत बहुत धन्यवाद, बहिन जी. वास्तव में मैं whatsapp पर एक ग्रुप चलता हूँ “स्वास्थ्य एवं योग” जिसमें २०० से अधिक सदस्य हैं. मैं इस समूह में योग तथा प्राकृतिक चिकित्सा द्वारा बीमारियों को ठीक करने और उनसे बचने की सलाह देता हूँ. अब तक बहुत से लग ऐसी ऐसी बीमारियों से मुक्त हो गए हैं जो कई वर्षों तक एलोपैथी होम्योपैथी आदि का इलाज कर कर् करके परेशान हो गए थे. वहीँ पर ऐसे ही एक सज्जन की मांग पर यह छोटा सा लेख लिखा था, जो यहाँ लगा दिया है.
अगर आप whatsapp पर हैं तो इस समूह का सदस्य बन सकती हैं और दूसरों को बना सकती हैं. मेरा मोबाइल न. 9919997596 है.
वैसे मैं जल्दी ही फेसबुक पर भी ऐसा ही एक समूह बनाने की सोच रहा हूँ. पर उसमें मुझे समय बहुत देना पड़ेगा, इसलिए हिचक रहा हूँ. फिर भी बनाऊंगा जरूर. आपका आशीर्वाद बना रहे.
विजय भाई , लेख अच्छा लगा .prevension is better than cure ,सही ही तो कहते हैं .
बहुत बहुत धन्यवाद, भाई साहब ! यह बात बिल्कुल सत्य है. गिर जाने पर चोट का इलाज करने से बेहतर है कि हम सावधानी से चलें, ताकि गिरें ही नहीं.
बहुत बहुत धन्यवाद, भाई साहब ! यह बात बिल्कुल सत्य है. गिर जाने पर चोट का इलाज करने से बेहतर है कि हम सावधानी से चलें, ताकि गिरें ही नहीं.