घनाक्षरी छंद
नयनों में प्यास लिए, मुख मृदु हास लिए चहकत झूम झूम जैसे हो कजरिया ।
मधुमाती अबला सी, रसवंती सबला सी ,चलती है चपला सी जैसे हो बिजुरिया ।
इठलाती इतराती, प्रेम सुधा बरसाती , बलखायी हिरणी सी लचके कमरिया ।
वासन्ती चुनर औ धानी परिधान सजे , ठुमक ठुमक चले अल्हड़ गुजरिया ।
— लता यादव
बहुत अच्छी मनभावन घनाक्षरी आद० लता जी बहुत बहुत बधाई
लाजवाब
बहुत अच्छा छंद !
बहुत बढिया .
बहुत बढिया .
प्रिय सखी लता जी, बहुत सुंदर