गीत/नवगीत

बसंती मन भाया

गीत

रंग बहुत-से देखे, बसंती मन भाया
रंगों का सरताज, बसंती मन भाया-

रंग बसंती भगतसिंह का, मन को बहुत ही भाया
बलि चढ़ा दी अपने तन की, ज्यों ही मौका आया बसंती मन भाया-

वीर हकीकत ने भी पहना, रंग बसंती बाना
मात्तृभूमि की बलिवेदी पर, हंसते-हंसते जाना बसंती मन भाया-

वीर शहीदों ने भी पहना, चटक बसंती चोला
जोश देखकर उन वीरों का, शत्रु का मन डोला बसंती मन भाया-

इसी रंग से रंगा हुआ है, ऋतुओं का यह मेला
चारों ओर हैं फूल बसंती, बड़ी सुहानी वेला बसंती मन भाया-

आओ हम भी रंग दें तन-मन, इसी रंग से अपना
देशप्रेम के रंग के आगे, भाए कोई रंग ना बसंती मन भाया-

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

8 thoughts on “बसंती मन भाया

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छा गीत, बहिन जी !

    • लीला तिवानी

      प्रिय विजय भाई जी, शुक्रिया.

  • कविता बहुत अच्छी लगी . धन्यवाद जी .

    • लीला तिवानी

      प्रिय गुरमैल भाई जी, आपका आशीर्वाद बना रहे.

  • राज किशोर मिश्र 'राज'

    वाहह लाजवाब अनुपम सृजन के लिए बधाई बहन जी सादर प्रणाम

    • लीला तिवानी

      प्रिय राजकिशोर भाई जी, प्रोत्साहन के शुक्रिया.

  • अरुण निषाद

    shobhanam

    • लीला तिवानी

      प्रिय अरुण भाई जी, शुक्रिया.

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