गीतिका : वेलेंटाइन वीक पर चली मेरी कलम…
पहले दिन तुझे भेजा एक प्यारा गुलाब
इंतज़ार किया आया न तेरा कोई जवाब
दूसरे दिन सोचा कह ही दूँ मन की बात
पर हटा तो तू खूबसूरत चेहरे से नकाब
आया तीसरा दिन , हो न जाउँ कहीं लेट
ताबड़तोब दे दी एक चॉकलेट लाज़वाब
चौथा दिन आते आते डूब चुका प्यार में
रहे भले अधूरे, पर सजा लूँ हसीं ख्वाब
— दिनेश दवे
अच्छी कविता !