एक सदाबहार संस्मरण
आज एक समाचार पढ़ा-
”क्रिकेटर से नेता बने रोहित शर्मा!
नई दिल्ली
भारतीय सलामी बल्लेबाज रोहित शर्मा अब नेता बन गए हैं। कम से कम हरभजन सिंह तो यही मानते हैं। श्रीलंका के खिलाफ जारी तीन टी20 मैचों की सीरीज का आखिरी मैच विशाखापत्तनम में खेला जाना है। भारतीय टीम जब यहां पहुंची तो उसका जोरदार स्वागत हुआ। रोहित शर्मा को तो लोगों ने फूलों की माला से लाद दिया।”
फूलों की माला से लदे रोहित शर्मा को देखकर मुझे एक सदाबहार संस्मरण याद आ गया. हमारा छोटा-सा दोहता, मेरे देवर की बेटी की शादी में आया हुआ था. मिलनी के बाद सबने अपनी मालाएं एक टेबिल पर रख दी थीं. दोहता एक-एक कर सारी मालाएं अपने गले में डाल रहा था. मेरा सारा ध्यान उसकी ओर था, क्योंकि उस समय मैं ही उसकी केयरटेकर थी. मैं तो बस सुंदर नज़ारे का आनंद ले रही थी, अचानक फोटोग्राफर के कैमरे ने उस नज़ारे को कैद कर लिया. वह तस्वीर भुलाए नहीं भूलती.
अचानक फोटोग्राफर के कैमरे ने उस नज़ारे को कैद कर लिया. वह तस्वीर भुलाए नहीं भूलती. इन को ही तो स्वीट मैमोरीज़ कहा जाता है .
प्रिय गुरमैल भाई जी, संस्मरण को ही स्वीट मैमोरीज़ नाम दिया गया है.