कविता : यह जीवन
यह जीवन,
कभी जय है तो कभी अजय
कभी नश्वर तो कभी अक्षय
कभी मधु भाषी कभी कर्कश,
कभी सहज और कभी दुर्लभ
कभी हकीकत कभी कल्पना
कभी सुखद है तो कभी यातना
कभी नफरत तो कभी सुप्रीत,
कभी नीरस और कभी संगीत
कभी तमस और कभी प्रकाश
कभी हंसता और कभी उदास
कभी मधुर और कभी कटु स्वाद
कभी सहमति और कभी विवाद
कभी व्याकुल और कभी संतोष
कभी अपराधी तो कभी निर्दोष है
कभी बस बहस तो कभी समीक्षा
कहीं सु स्वागत और कहीं उपेक्षा
कभी नवीन है तो कभी पुरातन,
कभी अधर्मी और कभी सनातन
कभी यह दानव और कभी ‘देव’ है
पर जीवन परिवर्तन होता सदैव है,
कभी बेघर है और कभी निकेतन
प्रभु कृपा से मन रहता है ‘चेतन’,
— जय प्रकाश भाटिया
जीवन की सत्यता को दर्शाती कविता सुन्दर!!