जहर बनकर मत बहो
गर अब्दुल हामिद नहीं बन सकते ,हाफिज सईद भी मत बनो ,
देश की शिराओ में लहू नहीं बन सकते जहर बनकर मत बहो
—- विजयलक्ष्मी
“JNU में पढो, देशद्रोही नारे घडो
जिसका नमक खाया आँखें तरेरी उसी को ,,
है खौफजदा साप भी आजकल ,,
इंसानों की बस्ती में जगह मिली न उस को ,,
रहा जहर उसका फीका नमक के बिना
उगला जहर उसीने जीना सिखाया जिसको
कैसे कपूत जने तुमने वीरों के देश में
देश बेच रहा वही ,,अपना लहू पिलाया जिसको”
—- विजयलक्ष्मी
अच्छा छंद !