गीत/नवगीत

गीत : तुझे ए ज़िंदगी

तेरे ही वास्ते हर रोज मैं सौ बार मरता हूँ,
तुझे ऐ जिंदगी हद से ज्यादा प्यार करता हूँ।

माँ की कोख में तुझसे हुई पहली मुलाकातें,
तनहाई मे की थी तुमने मैंने कितनी ही बातें
तेरी आगोश में नौ माह मैं चुपचाप सोया था,
जनम लेते ही फिर कितनी शिद्दत से मैं रोया था,
वहाँ ज्यादा सकूँ था आज ये इकरार करता हूँ
तुझे ऐ जिंदगी हद से ज्यादा प्यार करता हूँ।

मेरी ऊंगली पकड़ कर तू मुझे दुनिया में ले आई,
फरिश्ते से दिए माँ बाप, और प्यारे बहन भाई,
मुझको याद है अब तक मेरे बचपन की वो शामें,
बड़ी मासूमयित से जब किया करते थे हंगामे,
वो दिन याद करके आज भी मैं आह भरता हूँ,
तुझे ऐ जिंदगी हद से ज्यादा प्यार करता हूँ।

ना जाने किस दोराहे पर खड़ा अब हो गया हूँ मैं,
मुझे सब लोग कहते हैं बड़ा अब हो गया हूँ मैं,
मैंने इस राह में अच्छाई की पूँजी लुटाई है,
इस दुनिया को हर एक साँस की कीमत चुकाई है,
मैं खाली हो गया हूँ एक बंजर खेत की तरह,
तू मुट्ठी से फिसलती जा रही है रेत की तरह,
तू मुझको छोड़ कर इक दिन चली जाएगी, डरता हूँ,
तुझे ऐ जिंदगी हद से ज्यादा प्यार करता हूँ।

— भरत मल्होत्रा

*भरत मल्होत्रा

जन्म 17 अगस्त 1970 शिक्षा स्नातक, पेशे से व्यावसायी, मूल रूप से अमृतसर, पंजाब निवासी और वर्तमान में माया नगरी मुम्बई में निवास, कृति- ‘पहले ही चर्चे हैं जमाने में’ (पहला स्वतंत्र संग्रह), विविध- देश व विदेश (कनाडा) के प्रतिष्ठित समाचार पत्र, पत्रिकाओं व कुछ साझा संग्रहों में रचनायें प्रकाशित, मुख्यतः गजल लेखन में रुचि के साथ सोशल मीडिया पर भी सक्रिय, सम्पर्क- डी-702, वृन्दावन बिल्डिंग, पवार पब्लिक स्कूल के पास, पिंसुर जिमखाना, कांदिवली (वेस्ट) मुम्बई-400067 मो. 9820145107 ईमेल- [email protected]

4 thoughts on “गीत : तुझे ए ज़िंदगी

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया गीत !

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया गीत !

  • अरुण निषाद

    क्या बात है

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत खूब .

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