गीत : तुझे ए ज़िंदगी
तेरे ही वास्ते हर रोज मैं सौ बार मरता हूँ,
तुझे ऐ जिंदगी हद से ज्यादा प्यार करता हूँ।
माँ की कोख में तुझसे हुई पहली मुलाकातें,
तनहाई मे की थी तुमने मैंने कितनी ही बातें
तेरी आगोश में नौ माह मैं चुपचाप सोया था,
जनम लेते ही फिर कितनी शिद्दत से मैं रोया था,
वहाँ ज्यादा सकूँ था आज ये इकरार करता हूँ
तुझे ऐ जिंदगी हद से ज्यादा प्यार करता हूँ।
मेरी ऊंगली पकड़ कर तू मुझे दुनिया में ले आई,
फरिश्ते से दिए माँ बाप, और प्यारे बहन भाई,
मुझको याद है अब तक मेरे बचपन की वो शामें,
बड़ी मासूमयित से जब किया करते थे हंगामे,
वो दिन याद करके आज भी मैं आह भरता हूँ,
तुझे ऐ जिंदगी हद से ज्यादा प्यार करता हूँ।
ना जाने किस दोराहे पर खड़ा अब हो गया हूँ मैं,
मुझे सब लोग कहते हैं बड़ा अब हो गया हूँ मैं,
मैंने इस राह में अच्छाई की पूँजी लुटाई है,
इस दुनिया को हर एक साँस की कीमत चुकाई है,
मैं खाली हो गया हूँ एक बंजर खेत की तरह,
तू मुट्ठी से फिसलती जा रही है रेत की तरह,
तू मुझको छोड़ कर इक दिन चली जाएगी, डरता हूँ,
तुझे ऐ जिंदगी हद से ज्यादा प्यार करता हूँ।
— भरत मल्होत्रा
बढ़िया गीत !
बढ़िया गीत !
क्या बात है
बहुत खूब .