कविता

कविता : सुनो…

 

ले चलना हमें कुछ देर
कुछ दूर ….

तुम अपने साथ

आसमान की
नीली चादर तले
लिए हाथों में हाथ…..

और थोड़े से जज़्बात….

जिनसे फिर जी उठे
ये दिल की धड़कन….

और जाग उठे
कुछ मीठी तड़पन ….

यूँ ही सुनो, तुम हमें
यूँ ही कहो, कुछ तुम हमें

न हो
जो इस दुनिया के
बंधनों में बंधा

न हो
जो किसी भी
किताब में पढ़ा

वही पढ़ लेना तुम मुझमें

सुनो,

ले चलना हमें
कुछ देर, कुछ दूर….

तुम अपने साथ।

— मीना सूद

मीना सूद

नाम - मीना सूद (मीनू नाम से लिखती हूँ) संप्रति - स्वतंत्र लेखन, देश के प्रतिष्ठित काव्य- संग्रहों, समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। प्रकाशित पुस्तकें - 1 (कृति, मेरी अभिव्यक्ति) E mail - [email protected]

2 thoughts on “कविता : सुनो…

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया !

  • अरुण निषाद

    शोभनम्

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