पंच चामर छ्न्द ==नमामि वंदना गुरु
नमामि वंदना गुरु—
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पंच चामर छ्न्द
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मापनी =१२ १२ १२ १२ – १२ १२ १२ १२
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नमामि वंदना गुरु अशेष जन्म साधना
सरस्वती करें कृपा अजेय भाव साधना
प्रकल्प कल्पना सजे रसाल गीत गीतिका
भजामि शारदा सदा प्रभा अमोघ गीतिका /
विदेह देह ज्ञान से, अशोक शोक को हरे/
गुरू अगाध नेंह से, अज्ञान ज्ञान से भरे /
सुधा नदी बहे सदा, हिए खुशी भरे जमी
प्रभा सदेह भारती विशेष आश् मे जमी/
निशा मिटा प्रभा करे , गुरू महेश आरती /
सदा जमी खुशी भरें दिनेश भाव भारती /
प्रसून सा खिले धरा खुशी दिवा विभावरी
समीर चाँद चाँदनी सखे दिखे विभावरी /
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राजकिशोर मिश्र ‘राज’
२४/०२/ २०१६
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