ढाल
“गाड़ी जरा तेज भागाओं | आज फिर पीछे लग गया नासपीटा | ” घबरा कर नीलम बोली
“इस छुटभैये सड़कछाप नेता की शिकायत कर आफ़त मोल ले ली | हर वक्त गिद्ध नजर लगाये बैठा रहता | अपनी बिटिया की रक्षा करूँ तो कैसे करूँ अब |”
“अच्छा तो किया जी आज छींटाकशी कर रहा था कल को न जाने क्या करता , कोई गलती न की हमने |”
“थाने की ओर भागाओं गाड़ी अब तो उन्हीं का सहारा हैं |”
“हा सही कह रहीं हो |”
तभी मिनिस्टर साहब के घर के बहार पहरेदारी करते ड्यूटी से थके पुलिस कर्मियो को देखते ही राकेश चहका अरे देखो मंत्रीजी के घर के बाहर गेट पर मुस्तैद वर्दीधारी, उन्हीं के पास चलते हैं |”
“अरे नहीं, नहीं ये वर्दीधारी, ये सब तो निहत्थे हैं क्या कर लेंगे,ऊपर से नेता की चौकीदारी में हैं एक नेता से ही कैसे रक्षा करेंगे बिटिया की | आगे ही थाना वहां चलो |”
“तुम नहीं समझती बस ये वर्दी ही काफ़ी हैं अपनी ढाल बनने के लिए | अभी इतना भी जंगल राज नहीं आया नीलू |”