मुक्तक : प्रेम करना सीख लो
जिंदगी की चाह हो तो प्रेम करना सीख लो
बंदगी रब की करो जी प्रेम करना सीख लो
सादगी मे हरि बसे मन ध्यान रेखा जान कर
भावना का छोड बंधन प्रेम करना सीख लो
जिंदगी की चाह हो तो प्रेम करना सीख लो
बंदगी रब की करो जी प्रेम करना सीख लो
सादगी मे हरि बसे मन ध्यान रेखा जान कर
भावना का छोड बंधन प्रेम करना सीख लो