गीत/नवगीत

गीत : बातें खत्म न होती

बारिश-धूप-हवा जैसी सौगातें खत्म न होतीं
देखो धरती से अम्बर की बातें खत्म न होती.

कितनी दूर धरा है नभ से
फिर भी साथ न छूटे.
इक-दूजे को छू न सकें पर
रिश्ता कभी न टूटे.
नित-नित नूतन भावों की शुरुआतें खत्म न होतीं.
देखो धरती से अम्बर की बातें खत्म न होती.

नभ से पाकर प्यार धरा फिर
सारे जग को पाले.
जैसे कोई वधू पिया के
घर को देखे-भाले.
धरती पर नभ की स्नेहिल बरसातें खत्म न होती.
देखो धरती से अम्बर की बातें खत्म न होती.

आओ सीखें इन दोनों से
सहज प्रेम को जीना.
आँसू पीना पड़े कभी तो
वो भी हँसकर पीना.
दिन भी खत्म नहीं होते हैं रातें खत्म न होती.
देखो धरती से अम्बर की बातें खत्म न होती

*अर्चना पांडा

कैलिफ़ोर्निया अमेरिका

One thought on “गीत : बातें खत्म न होती

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत शानदार गीत !

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