कविता

नम्रता

नम्रता

नम्रता हर मानव के
जीवन को सफल बनाती हैं
चाहे कितना भी क्रमठ कोई क्यो न हो
जिसके पास नम्रता नही
लाख परिश्रम करने पर भी
सफलता उसके हाथ नही
जिस दिन उसमे नम्र भाव की
ज्योति दीप जल जाये

ऐसे सरल स्वभाव जगत मे
दुनिया को मन भावे
गरिमा मय फल फुल की डाली!
स्वयं ही शीष झुकाती!
नम्रता हर मानव के !
जीवन को सफल बनाती!
बिजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी (स्नातकोत्तर छात्रा) पता -चेनारी रोहतास सासाराम बिहार।

One thought on “नम्रता

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया !

Comments are closed.