बाल कविता
मेरे बच्चे कितने भोले तू लगते बड़े खिलौने तेरी हरकत जग में न्यारी तू करते बड़ी नादानी तेरी ठुमक ठुमक
Read Moreजाड़े का ठिठुरन ये सर्द हवाएं कोहरे चादर ताने सूरज को छुपाती न दिन है न रात है कैसी ये
Read Moreमेरी माता कितनी भोली सिंह सवारी निकली डोली दैत्यों का संघार मां करती भक्तों का उद्धार मां करती जो भी
Read Moreगुरुओ के गुरू है शिवशंकर बिन गुरु ज्ञान न टूटे बंधन जो शिव को अपना गुरू बनावे सारे बंधन से
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