प्रेम
आज फिर आंखें भर आई जब प्रियवर की याद सताई जैसे उमड़े हुए बदलो के बीच छिपे हुए चांद समाए
Read Moreमेरी माता कितनी भोली सिंह सवारी निकली डोली दैत्यों का संघार मां करती भक्तों का उद्धार मां करती जो भी
Read Moreगुरुओ के गुरू है शिवशंकर बिन गुरु ज्ञान न टूटे बंधन जो शिव को अपना गुरू बनावे सारे बंधन से
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