कविता

बाल कविता

बाल कृष्ण की है ये टोली
ग्वाल बाल भी है सब भोले
यमुना जी के तट पर जावे
सखियों का सब चीर चुरावें
माखन चुरा चुरा कर खावे
राधा जी के मन को भावे
मधुवन भीतर गैया चरावें
सब मिलकर के रास रचावे
लल्ला की ये नटखट खेल
सब मिलकर रहते मेल।
बिजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी (स्नातकोत्तर छात्रा) पता -चेनारी रोहतास सासाराम बिहार।