कविता

किसान

वह देश सदा धन्य है
जो कृषि प्रधान है
वह सदा महान है
मनुष्य जो किसान है
कठिन श्रम साधता
पूर्ण सेवा भाव से
न चिलचिलाती धूप से
न वर्षा की बूदों से
किसी से उसे डर नही
नित्य कार्यरत ही रहता
उसके अथक प्रयास से
संपूर्ण जगत बिकास करता
वहा की मिट्टी मे सदा
नई जान सी आ जाती
हर देश के परचम पर
कृषक पैगाम होना चाहियें
जग मे कृषि विज्ञान का
सम्मान होना चाहियें
वह देश सदा धन्य है
जो कृषक प्रधान है|
बिजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी (स्नातकोत्तर छात्रा) पता -चेनारी रोहतास सासाराम बिहार।

One thought on “किसान

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी कविता !

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