कविता

वक्त

वक्त ने कब ज़िन्दगी का साथ दिया है ,

हमेशा आगे ही चलता जाता है !

ज़िन्दगी वक्त की परछाई सी नजर आती है !

वक्त बहुत बेरहम है

अपनी परछाई का भी साथ छोड़ जाता है !

वक्त का हर सितम ज़िन्दगी सहती जाती है

मगर उफ़ नहीं करती !
किसी के पास इतना वक्त कि काटना मुश्किल होता है ,

और किसी को इतना भी वक्त नहीं होता

कि अपनों के लिए वक्त निकाल सके !
काश !
कोई दिखाये दिशा इस ज़िन्दगी को ,

वक्त के साथ चलना सिखाये —-
वक्त का साथ मिल जाए अगर तो,

ज़िन्दगी के मायने बदल जाए !!

डॉली अग्रवाल

डॉली अग्रवाल

पता - गुड़गांव ईमेल - dollyaggarwal76@gmail. com