लघुकथा

लघुकथा- तीर्थयात्रा

हरिद्वार जाने वाली गाड़ी दिल्ली पहुंची थी कि फोन घनघना उठा, “हेल्लो भैया !”
“हाँ हाँ ! क्या कहा ? भाभी की तबियत ख़राब ही गई. ज्यादा सीरियस है. आप चिंता न करें.” कहते हुए रमन फोन काट कर अपनी पत्नी की ओर मुड़ा, “ सीमा ! हमें अगले स्टेशन पर उतरना पड़ेगा.”
“ क्यों जी ? हम तो तीर्थयात्रा पर जा रहे हैं. फिर वापस घर लौटना पड़ेगा ?” सीमा का वर्षों पूर्व संजौया सपना पूरा हो रहा था, “ कहते हैं कि तीर्थयात्रा बीच में नहीं छोड़ना चाहिए. अपशगुन होता है.”
“ कॉम ओन सीमा ! कहाँ पुराने अंधविश्वास ले कर बैठ गई,” सीमा के पति ने कहा, “ कहते हैं कि बड़ों की सेवा से बढ़ कर कोई तीर्थ नहीं होता हैं ”
यह सुन कर सीमा सपनों की दुनिया से बाहर आ गई और रेल के बर्थ पर बैठे-बैठे बुजुर्ग दंपत्ति के हाथ यह देख-सुनकर आशीर्वाद के लिए उठ गए.

*ओमप्रकाश क्षत्रिय "प्रकाश"

नाम- ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ जन्म- 26 जनवरी’ 1965 पेशा- सहायक शिक्षक शौक- अध्ययन, अध्यापन एवं लेखन लेखनविधा- मुख्यतः लेख, बालकहानी एवं कविता के साथ-साथ लघुकथाएं. शिक्षा-बीए ( तीन बार), एमए (हिन्दी, अर्थशास्त्र, राजनीति, समाजशास्त्र, इतिहास) पत्रकारिता, लेखरचना, कहानीकला, कंप्युटर आदि में डिप्लोमा. समावेशित शिक्षा पाठ्यक्रम में 74 प्रतिशत अंक के साथ अपने बैच में प्रथम. रचना प्रकाशन- सरिता, मुक्ता, चंपक, नंदन, बालभारती, गृहशोभा, मेरी सहेली, गृहलक्ष्मी, जाह्नवी, नईदुनिया, राजस्थान पत्रिका, चैथासंसार, शुभतारिका सहित अनेक पत्रपत्रिकाआंे में रचनाएं प्रकाशित. विशेष लेखन- चंपक में बालकहानी व सरससलिस सहित अन्य पत्रिकाओं में सेक्स लेख. प्रकाशन- लेखकोपयोगी सूत्र एवं 100 पत्रपत्रिकाओं का द्वितीय संस्करण प्रकाशनाधीन, लघुत्तम संग्रह, दादाजी औ’ दादाजी, प्रकाशन का सुगम मार्गः फीचर सेवा आदि का लेखन. पुरस्कार- साहित्यिक मधुशाला द्वारा हाइकु, हाइगा व बालकविता में प्रथम (प्रमाणपत्र प्राप्त). मराठी में अनुदित और प्रकाशित पुस्तकें-१- कुंए को बुखार २-आसमानी आफत ३-कांव-कांव का भूत ४- कौन सा रंग अच्छा है ? संपर्क- पोस्ट आॅफिॅस के पास, रतनगढ़, जिला-नीमच (मप्र) संपर्कसूत्र- 09424079675 ई-मेल [email protected]

4 thoughts on “लघुकथा- तीर्थयात्रा

  • लीला तिवानी

    आज भी ऐसे सच्चे इंसान मिल जाते हैं. बहुत बढ़िया.

    • ओमप्रकाश क्षत्रिय "प्रकाश"

      आदरणीय लीला तिवानी जी आभार आप का
      आप की उपस्थिति व अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए.

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी और प्रेरक लघुकथा.

    • ओमप्रकाश क्षत्रिय "प्रकाश"

      आदरणीय विजय कुमार जी आप को लघुकथा पसंद आई, मेरी मेहनत सफल हो गई. शुक्रिया आप का.

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