राजनीति

पी. चिंदम्बरम का बयान कांग्रेसी मानसिकता का परिचायक

जेएनयू, जाधवपुर विश्वविद्यालय और श्रीनगर विश्वविद्यालय के छात्रों के बाद अब यूपीए सरकार के तत्कालीन गृहमंत्री और वित्तमंत्री पी चिंदम्बरम का अफजल गुरू के प्रति वास्तविक प्रेम जाग गया है। संसद भवन पर हमले के आरोपी अफजल गुरू को फांसी पर चढ़े तीन साल बीत चुके हैं। लेकिन यह भारतीय राजनीति का अजीबोगरीब कोढ़ी खेल है, जो समय-समय अपने हिसाब की राजनीति के खेल में बुलबुलाता रहता है। पी चिदम्बरम के बयान से कांग्रेस पार्टी अब पूरी तरह से घिर चुकी है। पी चिदम्बरम का कहना है कि अफजल गुरू को फांसी देने का निर्णय संभवतः गलत था और उसे बिना पैरोल दिये आजीवन कारावास पर रखा जा सकता था। अब संभवतः वे यह भूल गये हैं कि जब अफजल गुरू की दया याचिका खारिज की गयीं थी तब 6 साल तक यूपीए की सरकार थी और अंतिम बार जब याचिका खारिज हुई और वह फांसी पर चढ़ाया जा रहा था तब भी वह यूपीए सरकार में ही मंत्री थे। आजकल पी चिदम्बरम ने अपने ही लोगों के फैसलों पर सवालिया निशान एक सोची समझी साजिश के तहत लगता है कि उठाने प्रारम्भ कर दिये हैं।

इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के अयोध्या के विवादित स्थल को लेकर किये गये फैसलों को भी गलत बताकर मीडिया की सुर्खियां बटोरने का प्रयास किया था। वहीं कुछ विश्वविद्यालयों में देशविरोधी नारे लगाने वाले छात्रों का भी पी चिदम्बरम समर्थन कर चुके हैं तथा वे देशविरोधी नारों को उचित बताकर छात्रों की गिरफ्तारी का भी खुला विरोध कर चुके हैं। वे छात्रों की गिरफ्तारी को अभिव्यक्ति की आजादी हनन बता रहे हैं और कह रहे हैं कि देशविरोधी नारे लगाना भर ही देशद्रोह नहीं हो जाता है। पी चिदम्बरम के बयान से कई सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं। चिदम्बरम का बयान पूरी तरह से तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सरकार के फैसलों पर सवालिया निशान खड़ा कर रहा है। यह सर्वोच्च न्यायालय के सभी फैसलों पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रहा है और खुफिया एजेंसियों के काम करने की शैली पर दाग लगा रहा है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि इस प्रकार की बयानबाजी करके पी चिदम्बरम को वोटों की खुशबू की महक आ रही है।

पी. चिदम्बरम के बयानों से भारतीय न्यायिक प्रणाली का अपमान हो रहा है। इस बयान की आढ़ में देश की न्यायपालिका पर अफजल गुरू की हत्या करने का आरोप लगाया जा रहा है। उनका यह बयान न्यायिक अवमानना की श्रेणी में आ रहा है। पी चिदम्बरम और कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता राजीव त्यागी की इस मामले में अलग-अलग राय है। उनका मत आया है कि अफजल गुरू को फांसी देने का निर्णय बिलकुल सही था और अब किसी को भी भारतीय संविधान के खिलाफ जाने की इजाजत नहीं दी जा सकती। उधर पी चिदम्बरम के बयान के बाद सोशल मीडिया व टिवटर के साथ टीवी चैनलों पर तीखी बहसों के बाद कांग्रेस ने बढ़ते दबाव के बीच पी चिदम्बरम के बयान से अपने आप को अलग कर लिया है। लेकिन कांग्रेस ने अपनी स्थिति साफ करने में बहुत देर कर दी है।

यह सभी अफजल प्रेमी नेता सोच रहे हैं कि इस प्रकार की बयानबाजी करने से मुस्लिम वोट बैंक एक बार फिर उनका बंधुआ बन जायेगा। यह नेताओं का घोर नैतिक पतन हो गया है कि वे आज अलगाववादी ताकतों के साथ खड़े नजर आ रहे हैं और यदि कोई देशद्रोही नारे लगाता है और कार्यक्रमों का आयोजन करता है तथा जब उसके बाद कार्यवाही की जाती है तब यही नेता उसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन करार दे रहे हैं और गिरफ्तार हो रहे लोगों को दलित व मुस्लिम बताकर अपनी राजनीति का बाजार गर्म करना चाह रहे हैं। राहुल गांधी और सोनिया गांधी के ऐसे सलाहकरों के कारण ही आज कांग्रेस सत्ता के बाहर हो गयी है औश्र यदि यही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं पब पीएम मोदी का कांग्रेस मुक्त भारत का सपना अपने आप ही पूरा हो जायेगा।

पी चिदम्बरम को अफजल प्रेम दर्शाने का लाभ आगामी तमिलनाडु विधानसभा चुनावों में कतई नहीं मिलने जा रहा है। अपित उनके बयानों से कांग्रेस पार्टी को बड़ा नुकसान होने का अधिक खतरा पैदा हो गया है। उनके बयान से तो पूरी की पूरी कांग्रेस पार्टी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अफजल गुरू के घर पर जाकर अपना शीश झुका देना चाहिये और अपने कृत्यों के लिये माफी मांगनी चाहिये। अब खुफिया एजेंसियों को ऐसे सभी अफजल प्रेमी नेताओं पर कड़ी नजर रखनी चाहिये और जेएनयू की जांच के घेरे में इन अफजल प्रेमी साहब का बयान भी आना चाहिये ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके। यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि देश के विश्वविद्यालयों में आज जो वातावरण पैदा किया जा रहा है कहीं उसके पीछे पी चिदम्बरम, मणिशंकर अय्यर, सलमान खुर्शीद और एक और अफजल प्रेमी शशि थरूर जैसे लोगों का तो हाथ नहीं है।

ये सभी नेता भारत देश की राजनीति के लिए चुके हुए, थके हुए और हारे हुए कोढ़ हैं। इन सभी नेताओं का बहिष्कार होना चाहिये लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि आज देश का तथाकथित टी वी मीडिया इन अफजल पे्रमी नेताओं को खूब बढ़ाचढ़़ाकर दिखा रहा है। पी चिदम्बरम के बयान से आज देश का वह हर सैनिक परिवार अपने आप को अपमानित महसूस कर रहा है जिसे देश व संसद की सुरक्षा में अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। देश के हर जवान को पीड़ा हो रही है, वह आहत है। इन सभी नेताओं की राजनीति समाप्ति की ओर अग्रसर है। अफजल प्रेमी नेता पी चिदम्बरम का परिवार शारदा चिटफंड घोटाले में फंसता जा रहा है साथ ही मनी लाडिंªग सहित कुछ अन्य केसों पर जांच चल रही है। शशि थरूर अपनी करोड़पति पत्नी सुनंदा पुष्कर की हत्या के मामले फंस सकते हैं। वहीं सलमान खुर्शीद के एनजीओ के फर्जीवाड़े की जांच चल रही है। ऐसा प्रतीत हो रह है कि यह बयानबाजी कांगे्रस पार्टी में पनप रही आंतरिक गुटबाजी का परिणाम भी हो सकता है।

मृत्युंजय दीक्षित

One thought on “पी. चिंदम्बरम का बयान कांग्रेसी मानसिकता का परिचायक

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छा लेख !

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