ब्लॉग/परिचर्चा

बजट का एक रंग यह भी

जब भी आम बजट आना होता है, उसके एक-दो दिन पहले से ही और बजट आने के बाद तो कई दिन तक बजट की ही चर्चा होती रहती है. इस बार के आम बजट की भी कुछ सुर्खियां हैं-

 

हरे-भरे आम बजट में छिपे हैं छोटे-छोटे कांटे

 

बजट में सबको खुश करने की चुनौती

 

क्या निकलेगा जेटली की पोटली से?

 

अब मोदी सरकार के बजट पर नजर

 

बंधनों के बीच एक बेहतर बजट

 

जारी है देशघाती दुष्प्रचार का दौर

 

उम्मीदें व चुनौतियां

 

इन्हीं सुर्खियों के बीच हमारी नज़र एक सुर्खी पर टिक गई-

 

दृष्टिहीन छात्रा की मुहिम लाई रंग, ब्रेल पेपर पर टैक्स नहीं

 

 

यह दृष्टिहीन छात्रा बेंगलुरु की है, जिसका नाम है चंदना चंद्रशेखर. इस बार के आम बजट में ब्रेल पेपर पर से कस्टम ड्यूटी हटाने का प्रस्ताव रखा गया है. सोमवार को बजट के इस प्रावधान को रखने के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राहुल गांधी को, इस संबंध में सरकार का ध्यान आकर्षित करने का श्रेय दिया. हालांकि, इस फैसले के पीछे वास्तविक योगदान बेंगलुरु के माउंट कारमल कॉलेड में बीकॉम अंतिम वर्ष की दृष्टिहीन छात्रा चंदना चंद्रशेखर की मुहिम का. चंदना की ओर से लगातार लिखे गए मेल ने, सरकार को इस संबंध में आवश्यक कदम उठाने के लिए बाध्य कर दिया.
चंदना ने सरकार के प्रस्ताव के प्रति धन्यवाद प्रकट करते हुए कहा, कि राहुल गांधी से उनकी मुलाकात ने ही वर्तमान सरकार तक उनकी आवाज पहुंचाने में मदद की. चंदना ने बताया कि 25 नवंबर, 2015 को राहुल गांधी उनके कॉलेज आए थे. मौका मिलते ही चंदना ने उनसे दृष्टिहीन छात्रों को नौकरी दिलाने के संबंध में कुछ करने के लिए कहा. उनके जैसे बच्चों को आर्ट्स के विषय लेने के लिए बाध्य किया जाता है और दूसरे पाठ्यक्रमों से दूर रखा जाता है. राहुल गांधी ने सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए चंदना को अपना कार्ड दिया.
बिना वक्त जाया किए चंदना ने राहुल के असिस्टेंट को मेल किया. उनकी उम्मीद से इतर आधे ही घंटे में जवाब आया, कि उनका मेल राहुल गांधी को फॉरवर्ड कर दिया जाएगा. मेल में चंदना ने लिखा कि ब्रेल कागज पर अधिक टैक्स होने की वजह से दृष्टहीन बच्चों को काफी असुविधा होती है. साथ ही उन्होंने राहुल से सरकार पर उनकी मांग के संबंध में प्रभाव डालने के लिए कहा. ठीक एक दिन बाद उन्हें राहुल की ओर से एक मेल मिला, जिसके साथ केंद्रीय वाणिज्य राज्य मंत्री निर्मला सीतारमन को राहुल की ओर से लिखा हुआ एक पत्र शामिल था.
चंदना रेटिनाइटिस पेगिमिंटोसा से प्रभावित थीं. हालांकि, आठवीं कक्षा तक चंदना कुछ हद तक देख सकती थीं. उनकी सुनने की क्षमता भी मात्र 40 प्रतिशत ही बची है, लेकिन इस मेधावी छात्रा ने हिम्मत नहीं हारी. चंदना की-बोर्ड प्लेयर होने के साथ-साथ सिंगर भी हैं और अपनी मां के लिए कोरस भी गाती हैं.
चंदना ने साझा किया कि उनके दोस्त पाउ डीसूजा ने उन्हें एक ब्रेल टाइपराइटर और ब्रेल एम्बॉसर गिफ्ट किया था, जिसने चंदना के पढ़ाई के तरीकों को पूरी तरह से बदल दिया. ब्रेल टाइपराइटर की मदद से चंदना अपने नोट्स ब्रेल में बदल लेती थीं.
चंदना जी, आपके साहस और जज़्बे को देखकर हमारी शुभकामना है, कि आपकी खुशबू चंदन की तरह सबको सुवासित करती रहे. राहुल जी को भी धन्यवाद, कि उन्होंने इस नेक काम में आपका साथ देने में कोई कसर नहीं छोड़ी. नेक कामों के लिए सभी पार्टियों के लोग इस तरह मिल-जुलकर काम करें, तो देश का भविष्य उज्ज्वल होने में देर नहीं लगेगी. आपके साहस और जज़्बे को हमारे कोटिशः नमन.

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*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

4 thoughts on “बजट का एक रंग यह भी

  • Man Mohan Kumar Arya

    इस रचना के लिए हार्दिक धन्यवाद। हम कहते हैं की शुभ कर्मों का परिणाम शुभ ही होता है। यहाँ भी यह नियम सत्य चरितार्थ हुआ है। चंदना चंद्रशेखर जी को हितकर बात वा प्रस्ताव करने वा सम्बंधित मंत्री जी द्वारा उसे स्वीकार कर लेने सहित आप ने इस मुद्दे को रोचक रूप में प्रस्तुत किया, एतदर्थ सभी को धन्यवाद है। सादर।

    • लीला तिवानी

      प्रिय मनमोहन भाई जी, आपने बिलकुल दुरुस्त फरमाया है. शुभ कर्मों का परिणाम शुभ ही होता है और रोचकता भी हो, तो सोने पे सुहागा हो जाता है. बेमिसाल प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    लीला बहन , पहले तो चंदना चंदर्शेखर को ही इस काम का श्रेय जाता है किओंकि इस बजट से अकेला उन का ही नहीं बलिक और भी बहुत से नेत्रहीन लोगों का भला होगा , दुसरे सिआसत्दानों ने भी इस ओर धियान दिया है ,यह सब से अच्छी बात है . यह ब्लॉग बहुत अच्छा लगा .

    • लीला तिवानी

      प्रिय गुरमैल भाई जी, आपने बिलकुल दुरुस्त फरमाया है. भले काम से सबका भला ही होता है. बेमिसाल प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया.

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