रंग भी देता है खुलकर कौन है
रंग भी देता है खुलकर कौन है
बैठा है जो दिल मे छुपकर कौन है
लिख इबारत प्यार की दिल पर मेरे
जा रहा ये आज बचकर कौन है
पासबानी भी धरी ही रह गई
ले गया दिल को चुराकर कौन है
लिख दिया था नाम तो यूँ रेत पर
पर इसे जाता मिटाकर कौन है
यूँ जलाई थी शमाँ एक प्यार की
ये मगर जाता बुझाकर कौन है
मै तो सबको भेजता हूँ फूल फिर
शूल जाता ये चुभाकर कौन है
“’दिनेश “”
बहुत बढियां