संस्मरण

32 पैकेट

बात 1988 की है. रविवार का दिन था. रोज़ की तरह सुबह अपने टाइम पर बिटिया उठी और पढ़ने को अखबार उठाया. दो मिनट में ही बोली, पापा फोन उठाओ, पापा फोन उठाओ. हड़बड़ाकर फो उठाकर पापा ने कहा- ”क्या हो गया, सब ठीक तो है न!
”हां पापा, मैं फोन नं. बोलती हूं, आप फोन मिलाइए और बोलिए ‘बिन्नी’, जब वो अपना नाम बोलने को कहें तो अपना नाम बोल दीजिएगा.”
ऐसा ही किया गया और उनका नाम रजिस्टर हो गया.
फिर फोन मुझे दिया गया, मेरा नाम भी रजिस्टर हो गया. बिटिया ने अपना नाम रजिस्टर करवा लिया, तब तक मैं बेटे को भी बुला लाई, उसका भी नाम रजिस्टर हो गया. सबको कहा गया, ”सरोजिनी नगर से अपना इनाम ले जाइए.”
असल में बिन्नी आलू चिप्स का प्रचार करने के लिए यह एक विज्ञापन था, जो पहले 100 लोगों के नाम रजिस्टर करवाने वालों को दिया जाना था. बेटे का स्कूल सरोजिनी नगर में ही थी, वह रोज़ वहां जाता था, उसने कहा मैं ले आता हूं. सबने उसको अपना-अपना नंबर बता दिया. थोड़ी देर में घर के पाए एक ऑटो रिक्शा आकर रुका. हमने बालकनी से देखा, बेटा चार बड़े-बड़े पैक उतार रहा था. हरेक पैक में 8 बिन्नी के पैकेट थे. चिप्स के 32 पैकेट खाते, खिलाते, बांटते आज भी वह खुशनुमा नज़ारा याद आता है.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

10 thoughts on “32 पैकेट

  • मनमोहन कुमार आर्य

    उपहार पाकर सभी प्रसन्न होते हैं। आपको एक साथ इतने उपहार मिल गए, इससे आपको मल्टीप्ल प्रसन्नता हुई होगी। इस सुखद संस्मरण को शेयर करने के लिए हार्दिक धन्यवाद। सादर।

  • मनमोहन कुमार आर्य

    उपहार पाकर सभी प्रसन्न होते हैं। आपको एक साथ इतने उपहार मिल गए, इससे आपको मल्टीप्ल प्रसन्नता हुई होगी। इस सुखद संस्मरण को शेयर करने के लिए हार्दिक धन्यवाद। सादर।

    • लीला तिवानी

      प्रिय मनमोहन भाई जी, मैंने और बच्चों ने स्कूल में और पतिदेव ने अपने ऑफिस में अलग-अलग फ्लेवर मित्रों को टेस्ट कराए, उसमें और अधिक मज़ा आया. सार्थक प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    वाह ! मुफ्त की चीज़ वोह भी खाने की हो तो मज़ा ही हट्ट कर होता है .

    • लीला तिवानी

      प्रिय गुरमैल भाई जी, बच्ची की नज़र विज्ञापन की अहमियत समझ पाई, यह भी देखने वाली बात है. सार्थक प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया.

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह ! गिफ्ट में मिली चीज़ का स्वाद ही कुछ और होता है !

    • लीला तिवानी

      प्रिय गुरमैल भाई जी, आपने बिलकुल दुरुस्त फरमाया है. सार्थक प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया.

    • लीला तिवानी

      प्रिय विजय भाई जी, आपने बिलकुल दुरुस्त फरमाया है. सार्थक प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया.

  • नीतू सिंह

    बढियां

    • लीला तिवानी

      शुक्रिया.

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