गीतिका/ग़ज़ल

पिला रहे हो जो हमको इतनी…

पिला रहे हो जो हमको इतनी,जरा बताओ इरादा है क्या॥
बहक गये जो कदम हमारे, सम्हालने का भी वादा है क्या॥

नशा तो नजर-ए-हुज़ूर में है, नज़र से पीकर सूरुर में हैं।
तो पैमानो से पियेगे क्यूं हम, सूरूर इसमें ज्यादा है क्या॥

छलकते ये ज़ाम ना पियेगें, ये मय तो है आम ना पियेगे।
पियेगें हम तो लबों से मय बस, लबों से छलके ज्यादा हैं क्या॥

अभी ख़ुमारी नही है हमको, ये दारू प्यारी नही है हमको।
नशा भला इस सुरा में बोलो, अदा से उनकी ज्यादा है क्या॥

झुका के नज़रें जो वो उठा दे, मय की मयकश को भी भुला दे।
नशा भला मयकदा में कहिये, निगाह से उनकी ज्यादा है क्या॥

अभी होश है करो न तौबा, अभी तो छलके है ज़ाम मय के।
नीयत पे मेरी धरो न तोहमत, समझो उनका इरादा है क्या॥

वो छू दे ग़र पानी प्यार से तो, बने पुरानी शराब वो भी।
हमे छुआ है बहुत प्यार से, न जाने उनका इरादा है क्या॥

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.

6 thoughts on “पिला रहे हो जो हमको इतनी…

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह वाह !

    • सतीश बंसल

      शुक्रिया आद. विजय जी…

  • लीला तिवानी

    बढ़िया रचना.

    • सतीश बंसल

      शुक्रिया आद. लीला जी..

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    उम्दा रचना

    • सतीश बंसल

      धन्यवाद आद. विभा जी..

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