इन गीतों को मुखरित कर दो…
मेरे गीत तुम्हारा वंदन इन गीतों को मुखरित कर दो |
निज उष्मित अधरों के स्वर दे इन गीतों में मधु रस भर दो |
ह्रदय-पत्र पर चले लेखनी पायल के स्वर की मसि भर दो |
—इन गीतों को मुखरित कर दो ||
मेरे गीत तुम्हारे मन के स्वर की मधुर कल्पनाएँ हैं|
तेरे मृदुल गात की अनुपम सुकृत सुघर अल्पनायें हैं |
इन गीतों में प्रीति रंग भर इन्द्रधनुष प्रिय विम्बित कर दो |
—-इन गीतों में मधु रस भर दो ||
इन गीतों में प्रियतम तेरी बांकी चितवन मृदू मुस्कानें |
मादक यौवन की झिलमिल है देह-यष्टि की सुरभित तानें |
खिलती कलियों के सौरभ की खिल खिल खिल मुस्कानें भर दो |
—– इन गीतों को मुखरित कर दो ||
इन गीतों में विरह-मिलन के विविध रंग रूपक उपमाएं |
पल पल रंग बदलते जीवन-जग की विविध व्यंजनायें |
मधुर रागिनी सुरभित साँसों की दे इनमें जीवन भर दो |
—इन गीतों में जीवन भर दो||
मेरे गीत तुम्हारी ही तो स्वर सरगम के अनुयायी हैं |
तेरी पगढ़वानी, नूपुर रुनझुन अनहद नाद के अध्यायी हैं |
स्वस्ति वचन, मुकुलित स्वर देकर इन गीतों में अमृत भर दो |
—इन गीतों में अमृत भर दो|
—इन गीतों को मुखरित कर दो ||
बहुत सुन्दर गीत
बहुत सुन्दर गीत
धन्यवाद विजय जी