परमात्मा की प्लानिंग
आज मास का द्वितीय शनिवार है. आज के दिन सीनियर सिटिज़ंस की मीटिंग होती है, जिसमें हम हर महीने जाते हैं. आज हमारी बहू को भी सेमीनार में जाना था, इसलिए हमें घर में रहना था. हमने मीटिंग में जाने की बात मन से बिलकुल ही निकाल ली थी. सुबह उठते ही बहू का गला खराब होने के कारण उसका सेमीनार में जाना कैंसिल हो गया, लेकिन हमें फिर भी मीटिंग में जाने का ध्यान नहीं आया. मेरी 92 वर्ष की एक सहेली ने हमें फोन किया, कि आप मीटिंग में आ रहे हैं या नहीं? वह भी बहुत अच्छी लिखती है और कविता-पाठ करती है. हम तुरंत तैयार होकर चले गए. हम समय पर पहुंच गए. आज वहां होली का बहुत अच्छा कार्यक्रम हुआ और स्नैक्स भी होली स्पेशल थे, इसके अलावा बिंगो में भी हमारा इनाम निकला. मेरी होली की कविता सबको बहुत पसंद आई. परमात्मा की प्लानिंग पर मैं हैरान हूं.
आप लोग भी अपने ऐसे अनुभव लिखें.
आपकी पंक्तियाँ पढ़कर Man Proposes God Disposes की मुझे याद आ गई। सादर।
प्रिय मनमोहन भाई जी, आपको एकदम सच्चा और बहुत अच्छा मुहावरा याद आ गया. सार्थक प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया.
बढ़िया !
शुक्रिया.
लीला बहन , आप की पलैनिंग जो थी वोह भगवान् ने पूरी कर दी , भगवान् ने भी सोचा होगा कि कोई बुरा काम तो हो नहीं रहा अच्छा ही है ,फिर किओं ना सरप्राइज़ दे दिया जाए ,सो आप का दिन बन गिया और खा पी भी हो गिया .यह तो वोह बात हुई , कुलवंत और मैंने बहुत से प्रीअमिअम बौंड खरीदे हुए हैं और दोनों पोतों को भी ले के दिए हुए हैं . कुछ हफ्ते हुए पोते को २५ पाऊंड का प्राइज़ आ गिया . कुलवंत एक दिन कहने लगी ,” मुझे नहीं कोई प्राइज़ निकलता “. कुछ देर बाद दरवाज़े पर खडाक हुआ ,बाहर गई तो कुछ लैटर थे ,देखा कुलवंत को भी २५ पाऊंड का बौंड आ गिया था .
प्रिय गुरमैल भाई जी, यह तो नहले पर दहला हो गया.
बांड से याद आया कि आप दोनों की कितनी अच्छी बांड है यानी अप्रत्यक्ष बंधन! यह भी परमात्मा की ही देन है! नहीं?आदरणीय भामरा साहब और लीला आंटी जी …आंटी कहने से बुरा तो नहीं लगा न! ऐसे ही मजाक में लिख रहा हूँ. आपदोनो का वार्तालाप पढता रहता हूँ इसीलिये मैंने यह प्रतिक्रिया दी. आपलोग कितना समय इन्टरनेट को देते हैं? अच्छा लगता है पर समयाभाव के कारण आपदोनों के सभी आलेख नहीं पढ़ पाता …